SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 78 ज्ञानानन्द श्रावकाचार बहुत है / उससे भी असंख्यात गुणा पाप दो इन्द्रिय जीव को मारने का है / उससे असंख्यात गुणा तीन इन्द्रिय को, उससे असंख्यात गुणा चार इन्द्रिय को, उससे असंख्यात गुणा असैनी पंचेद्रिय को, उससे भी असंख्यात गुणा सैनी पंचेन्द्रिय जीव को मारने का पाप है / __अनछने पानी के एक चुल्लु में लाखों करोडों पांच प्रकार के - दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय, पंचेन्द्रिय असैनी, सैनी - त्रस जीव तो आकाश के प्रकाश में इधर-उधर उडते धूल में कणों के सदृश्य पाये जाते हैं / यदि उजाले में भली प्रकार देखा जावे तो ज्यों के त्यों नजर आते हैं तथा उनसे भी छोटे पांच प्रकार के असंख्यात जीव, जो उनसे भी असंख्यातवें भाग अवगाहना (शरीर के आकार) के धारक हैं, और भी पाये जाते हैं / पानी छानने पर, छनने के एक-एक छिद्र में से युगपत असंख्यात त्रस जीव अलग निकल जाते हैं जो इन्द्रियों से दिखाई नहीं देते, अवधिज्ञान अथवा केवलज्ञान के द्वारा ही जाने जाते हैं। बहुत से मनुष्य पानी छानते भी हैं, पर जीवाणी (छनने के ऊपर रह जाने वाला पानी) जहां का तहां नहीं पहुंचाते हैं, तो वह पानी भी अनछना पानी पीने जैसा ही है / अतः उस अनछने पानी का एक चुल्लु अपने हाथ से बखेरने पर अथवा काम में लेने पर अथवा स्वयं पीने अथवा अन्य को पिलाने पर उसका पाप एक गांव को मारने के समान है। ___ इसप्रकार हे भव्य ! तू अनछना पानी पी अथवा खून पी, अनछने पानी से स्नान कर अथवा खून से स्नान कर, खून से भी अधिक पाप अनछने पानी में कहा गया है / खून तो निंद्य है ही, अनछने पानी को काम में लेने में असंख्यात त्रस जीवों का घात होता है, तथा जगत में निंद्य है / महानिर्दयी पुरुष इसके पाप के कारण भव-भव में रुलते हैं , नरक तिर्यंच गति के क्लेशों को प्राप्त करते हैं / उनका संसार समुद्र में से निकलना दुर्लभ है / ज्यादा क्या कहें, इसके समान पाप अन्य नहीं है /
SR No.032848
Book TitleGyananand Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaimalla Bramhachari
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2010
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy