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________________ 40] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान Saritarasharirareranarrorrerarsha अथ सुदर्शनमेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी वक्षार गिरपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 6 अथ स्थापना--अडिल्ल छन्द मेरु सुदर्शनते पश्चिम दिश जानिये, __ तहां आठ वक्षार सुगिरि परमानिये। तापर श्री जिनभवन बने सु विशाल जू, ___ आह्वानन विधि करों नाय निज भाल जू॥१॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट् सन्निधिकरणम् स्थापनं। __ अथाष्टकं-मद अवलिप्त कपोल छन्द क्षीरोदधिको उज्जल जल ले रतन कटोरीमें धर लाय, जनम जरा दुख दूर करनको, श्री जिनवरके पूजत पाय। मेरु सुदर्शन पश्चिम दिशमें, गिर वक्षार आठ सुविशाल। तिनपर श्री जिनभवन विराजित, भविजन पूजत है त्रैकाल॥ ___ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी शब्दवान॥१॥ विजयवान // 2 // आसीविष // 3 // सुषावह // 4 // चन्द्र // 5 // सूर्य // 6 // नाग 7 // देवनाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ जलं॥ केसर अगर कपूर मिलाकर, मलयागिर चंदन सुखदाय। श्रीजिन चरण चढ़ावत भविजन, भव आताप दूर है जाय॥ मेरु सुदर्शन. // 3 // ॐ ह्रीं.॥ चन्दनं //
SR No.032847
Book TitleTerah Dwip Puja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year2000
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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