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________________ काशी निवासी कविवर श्री लालजीतजी रचित श्री तेरहद्वीप पूजा विधान 458 जिनमंदिर पूजा पाठ दोहा-श्री अरहन्त प्रणाम कर, पंच परम गुरु ध्याय। तिनके गुण वर्णन करूं, मन वच शीश नवाय॥१॥ सवैया इकतीसा अरहन्त देवको प्रणाम करूं, बार बार सिद्धनको सीस न्याय गुण गाइयतु हैं। सुर उवझाय दोऊ इनके जुगल पाय, __हिरदेमें धार तिहुं काल ध्याइयतु हैं। साधु शिव मारग विशाल दरसावत हैं, पावत परमपद सीस नाइयतु हैं। ये ही पंच परम धरमको स्वरूप कहो, तिनको सु ध्यान धार मोक्ष पाइयतु हैं॥२॥ दोहा-चार घातिया कर्म जे, तिनको किनो नाश। तब केवल परगट भयो, लोकालोक प्रकाश // 3 // ऐसे अरहन्त देवके, गुण छियालीस निहार। तिनका कुछ वर्णन करु, सुनो भव्य चितधार॥४॥
SR No.032847
Book TitleTerah Dwip Puja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year2000
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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