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________________ किं नु हित्वा न शोचति] महाभारतस्थ [किं पुनस्तव भारत किं नु हित्वा न शोचति 3. 297. 56. किं नु हित्वा प्रियो भवति 3. 297. 56deg. किं नु हित्वार्थवान्भवति 3. 297. 56deg. किं नु हित्वा सुखी भवेत् 3. 297. 56". किं नृपः प्रचकार ह 14.62. 1". किं नैव जातु पुरुषः 12. 171.21. किं नो गावः करिष्यन्ति 4.48. 17%. किं नो दुःखमतः परम् 3. 1290*. 6 post. किं नो बहुप्रलापेन 7. 1140*. 1 pr. किं नो मांसेन शुकण 9.29. 33. किं नो राज्येन गोविन्द 6. 23. 320. किं नो वस्तुं तपोवने 3. 34. 24. किं नो विवदितेनेह 2. 64. 11". किं न्वतः परमं दुःखं 1. 147. 17". किं स्वतः परमं स्वयं 12.76. 336. किं स्वतः परमैश्वर्य 12.76. 33. किंवत्र सुकृतं कार्य 12.314. 11'. किं वद्य कर्तव्यमिति प्रजाभिः 3. 119.7. किं वस्य दुष्कृतेऽस्माभिः 3. 156. 136. किं वह वै करिष्यामि 2. App. 38. 108 pr. किं विदं विति विज्ञाय 13. 12. 16. किं विदं दैवकारितम् 18. 2. 42d. किं विमे मानवाः सर्वे 1. 217. 16". किं परं धर्मलक्षणम् 13.23.24. किं परं ब्रह्मचर्यस्य 13. 23. 24". किंपाकमिव भक्षितम् 5. 122. 20. किं पाण्डवा भीमनेत्रास्तदानीम् 6. App. 5. 9. किं पाण्डवांस्त्वं न जहासि कृष्णे 8. 46. 39. किं पाण्डवांस्त्वं पतितानुपास्से 2. 68. 14". किं पात्रं स्थापितामह 13. 37. 11. किं पापं कृतवानसि 1. 101. 151. किं पार्थः प्रत्यपद्यत 7. 130.24. किं पार्थिवेन कर्तव्य 12. 113. 1". किं पुनर्गुणवन्तस्ते 5. 39. 18%. किं पुनामवासिनाम् 1. 110. 34. 12. 9. ". किं पुनिितषु वधं 5. App. 13. 6. pr. किं पुनर्ज्ञानिनां नृणाम् 14. App. 4. 3261 post. किं पुनर्दयितं जातं 14.66. 17. किं पुनदर्शनं तस्याः 1. 2008*. 2 pr. किं पुनद्रौपदेयाभ्यां 7. 122. 32deg. किं पुनर्धर्मशीलस्य 1. 43. 24deg. किं पुनर्धर्मसंहिताम् 14. App. 4.81 post. किं पुनर्धार्तराष्ट्रस्य 7. 85. 87deg. किं पुनर्धार्तराष्ट्राणां 5. 149. 40deg. किं पुनधृतराष्ट्रजैः 3. 13. 119d. किं पुनधृतराष्ट्रस्य 3. 176. 34". किं पुनर्न कुलं त्वां च 3. 679*.2 pr. किं पुनर्बाल एव त्वं 1. 38. 50. किं पुनर्ब्राह्मणाः पार्थ 14. 19. 576. किं पुनर्ब्राह्मणाः पुण्याः 6.31. 33%. किं पुनर्ब्राह्मणो विद्वान् 13. App. 10. 453 pr. किं पुनर्मनुजेष्विति 7. App. 8. 717 post. किं पुनर्मन्युनेरिताः 3. 46. 364. किं पुनर्मम दुष्पुत्रैः 5. 50. 17. किं पुनर्मय॑धर्मिणः 3. 33. 52d. किं पुनर्मर्त्यधर्मेण 6. 439*. 2 pr. किं पुनर्मानवा भुवि 4. 214*. 3 post. किं पुनर्मानवा रणे 1. App. 80. 30A 7 post. किं पुनर्मानुषा भुवि 3. 197. 22". किं पुनर्मानुषेणेह 4. 1085*. 1 pr. किं पुनर्मानुषे लोके 3. 165.20. किं पुनर्मानुषैलों के 13. App. 15. 2587 pr. किं पुनर्मानुषो भुवि 13. App. 15. 1304 post. किं पुनर्मामितो विप्राः 3. 2. 4. किं पुनर्मो तपोहीनं 13. 51. 19. किं पुनौसयोनयः 5. 53. 11". किं पुनर्यस्तु संध्ये द्वे 14. App 4. 504 pr. किं पुनर्यस्य लोकोऽयं 2. App. 41. 23 pr. किं पुनर्ये च कौन्तेय 14. App. 4. 415 pr. किं पुनर्ये यजन्ते मां 12. App. 17B. 147 pr. 14. App. 4. 3366 pr. किं पुनर्ये स्युरीदृशाः 5. 70. 44. किं पुनर्योधशेषस्य 10. 8.70. किं पुनर्योधितुं प्रभुम् 8. App. 36. 27 post. किं पुनर्यो निषेवते 13. App. 10. 252 post. किं पुनर्योऽसि सत्त्वानां 12. 173. 189. किं पुनर्योऽहमासक्तः 5.50. 55%. किं पुनर्वज्रिणकं तु 1.2119*.2 pr. किं पुनर्वज्रिणैकेन 1. 216. 27. किं पुनर्विधिवत्कृत्वा 1. 617*. 1 pr. किं पुनर्वृष्णिपुंगवाः 2. 13.51'. किं पुनर्हन्यमानानां 13. 116. 23". किं पुनश्चात्मनो लोकान् 12. 116*. 1 pr. किं पुनस्तत्परायणः 13. App. 13.25 post. किं पुनस्तव बालकम् 2. 186*. 1 posts किं पुनस्तव भारत 5.71. 13'. -742 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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