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________________ किंचिदञ्चितचक्षुषः] महाभारतस्थ [किं चेह भुवि दुर्लभ किंचिद्दत्तं हुतं तेन 2. 137*. 1 pr. किंचिद्दानं विशिष्यते 3. 178.54. किंचिद्दिशमितः प्राप्य 3. App. 3. 36 pr. किंचिद्दीनमना भीष्मं 12.50. 12. किंचिद्दर्योधनोऽब्रवीत् 8. 58*. 1 post. किंचिद्दष्टं समाचरेत् 14. 46. 414. किंचिदुःखपरिप्लुतः 9. 28. 42. किंचिद्रूरतरं ततः 14. 27. 44. किंचिद्दवाद्धठात्किंचित् 3. 33. 3203; 181. 320. किंचिद्धर्म प्रवक्ष्यामि 13. App. 14. 317 pr., 403 pr. किंचिद्धर्मेषु सूचितम् 12. 262. 174. किंचिद्धिष्ण्याकृतिः प्रभुः 12. 326. 24. किंचिद्धृष्टो नृपात्मजः 4. 698*. 1 post. किंचिद्यामहं विभो 13. 122. 24. किंचिद्भवति तन्मनः 12. 187. 1903; 507*. 1 post. किंचिद्भूतेषु निश्चितम् 11. 26*.5 post. किंचिद्युध्येत हि त्वया 1. App. 80. 23A 1 post. किंचिद्योद्धासि चर्मणि 4. 169*. 1 post. किंचिदञ्चितचक्षुषः 12.276*. 3 post. किंचिदत्र प्रियाप्रियम् 12. 287.28. किंचिदत्र वदस्व नः 3. 282. 35*. किंचिदन्यच्चिकीर्षसि 2. 25. 13. किंचिदन्यत्ततः समम् 14.27. 4'. किंचिदन्यत्र भक्षणात् 12. 136. 1590. किंचिदन्यदतः परम् 12. 308. 191f. किंचिदन्यन्न विद्यते 1. 69. 14. किंचिदप्यनपाकृतम् 7. 12. 136. किंचिदप्राप्यमीशितुम् 7. App. 8.902 post. किंचिदब्रुवतस्तदा 3.256,9". किंचिदब्रुवतः कायात् 7. 165. 47. किंचिदभ्युत्स्मयकृष्णं 7. 17. 4. किंचिदभ्येत्य संयुगे 7. 123.71. किंचिदर्थमभीप्सति 15. 17.4. किंचिदस्ति चराचरम् 14. App. 4. 2658 post. किंचिदस्ति जनाधिप 13.61. 47". किंचिदस्ति द्विजातिषु 3. 293. 22. किंचिदस्ति धनंजय 6.29.7. किंचिदस्ति महेश्वरात् 7. 1462*. 13 post. किंचिदस्ति सुरोत्तम 12. 104. 31. किंचिदस्तीति मे मतिः 13. 66. 44. किंचिदस्य यथा पुंसः 4.36. 30*. किंचिदस्य यथा स्त्रियः 4. 36. 30deg. किंचिदागतमन्युना 5. 112. 13. किंचिदागतसंरम्भः 5. 104. 25%. 7. App. 20. 18 pr. किंचिदात्मनि लक्षयेत् 12. 239. 20. किंचिदुक्तो नराधिपः 4. 66. 20. किंचिदुच्छासनिःश्वासं 13. App. 8. 26 pr. किंचिदुत्फुललोचनाः 3. 239. 26*. किंचिदुनाम्य वदनं 12. 51. 1. किंचिदूचुर्विचेतसः 3. 116. 11'. किंचिदनेऽपि नित्यशः 13. 525*. 1 post. किंचिदूर्व यथाविधि 13. 35.5. किंचिदेव तु पञ्चमम् 5. 31. 196%3 80.8. किंचिदेव निदर्शनम् 12.293. 20. किंचिदेव निमित्तं च 2. 11. 69. किंचिदेव ममत्वेन 12. 178. 41deg3; 268. 80. किंचिदेव विशां पते 7. 85. 104.8. 17.71d. किंचिदेव स्वकर्मतः 3. 33. 32. किंचिदेव स्वकर्मभिः 3. 181. 32. किंचिदेव हितं वचः 9. 3. 13. किंचिदेवान पञ्चमम् 5.70. 154. किंचिद्वक्ष्यामि नारद 12. 82.4. किंचिद्वक्ष्यामि भारत 1. 984*. 1 post. 2. 13. 14. किंचिद्वचनमब्रवीत् 5. 103. 264. किंचिद्वर्णावरे जने 13. 10. 624. किंचिद्वा तेन वः कृतम् 12. 114.4. किंचिद्वा लिप्यते पापैः 13. App. 15. 2839 pr. किंचिद्वा सुकृतं मम 13. 257*.6 post. किंचिद्विचलितः कर्णः 7. 104. 250. किंचिद्विचलिते पदे 12. 104. 14%; 138. 444. किंचियपकृतं कृतम् 3.62. 15. किंचिद्व्याक्षिप्तचेतसः 7. 324*.2 post. किंचिद्व्यापद्यते तत्र 7. 60. 33. किं चिन्तयसि द्यूतेऽस्मिन् 2. 519*. 5 pr. किंचिनियमवानहम् 12. App. 29E. 275 post. किंचिन्मूर्छामवाप सः 7. App. 7. 1 post. किंचिन्मौनव्रते स्थितः 1. 36. 18. किं चिरं कुरुथेति च 6.99. 43. किं चिरायसि मातस्त्वं 1. App. 47.5 pr. किं चिरायसि वाह्यताम् 1. App. 35.5 post. किं चिरेण प्रयामहे 6. 60. 61. किं चेदानी बहूक्तेन 5. App. 13. 11 pr. किं चेष्टं करवाणि ते 12. 192. 11'. किंचेष्टः पिराक्रमः 4. 47*. 39 post. किं चेह भुवि दुर्लभम् 12. 126. 33. -736
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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