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________________ काम्बोजानां शतं शतम् ] महाभारतस्थ [कायाच्छीर्षमपाहर काम्बोजानां शतं शतम् 1. 2079*. 1 post. काम्बोजानां सहस्रेस्तु 7. 95. 38". काम्बोजा निहतास्त्वया 7. 4.4. काम्बोजानेव मा वह 7. 95. 20f. काम्बोजान्यवनांश्चैव 7. 661*. 6 pr. काम्बोजान्वाटधानांश्च 7. 10. 17". काम्बोजा यदि ते श्रुताः 7. 87. 42d. काम्बोजा युद्धदुर्मदाः 7. 95. 12. काम्बोजारबालिकान् 7. 35. 36deg; 97. 26. काम्बोजारबाह्निकैः 6. 71. 16. काम्बोजारबाहीक- 1. 2082*. 1 pr. काम्बोजाश्च शकैः सह 9. 1. 26. काम्बोजास्तरणोचितम् 11. 25. 1. काम्बोजास्तरणोचितः 7. 67.70%. काम्बोजाः सपदानुगाः 7. 675*. 6 post. काम्बोजे च सुदक्षिणे 9. 23. 28. काम्बोजैरमिनिष्ठितम् 8. 307*.2 post. काम्बोजैर्जवनैहयैः 7. 101. 244. काम्बोजैर्बहुभिः सार्धं 6. 83. 10. काम्ब्रोजैर्यवनैः शकैः 8. 40. 108. काम्बोजैर्हि समेष्यामि 7. 87. 48*. काम्बोजैः परिवारितः 9.7. 25'. काम्बोजैः शबलैरश्वैः 7. 22. 16. काम्भोजं च सुदक्षिणम् 2. App. 20. 22 post. काम्भोजाः पारदास्तथा 13. App. 10. 30 post. काम्यक काननोत्तमम् 3. 244. 13. काम्यक नातिभाति मे 3.79. 14. काम्यकं नाम काननम् 3. 37. 376. काम्यकं नाम तदनम् 3. 12.36. काम्यकं नाम ददृशुः 3.6.3. काम्यकं पुनराश्रमम् 3. 146. 11%3; 162. 12t. काम्यकं प्रययुर्वनम् 3. 179. 18. काम्यकं प्राप्य कौन्तेयाः 3. 180. 1". काम्यक वनमुद्दिश्य 3. 45. 37. काम्यक वनमृद्धिमत् 3.6.5". काम्यकागमनं चैव 1. 128*. 49 pr. काम्यकादास्थितस्तपः 3. 163. 10. काम्यके काननश्रेष्ठे 1. 128*.64 pr. काम्यके द्रक्ष्यसे वीरं 3. 45. 29. काम्यके न्यवसत्तदा 3. 283. 164. काम्यके व्यवसंस्तदा 3.79.74. काम्यके पाण्डवं द्रष्टुं 3. 91. 17. काम्यके पुनराश्रमे 3. 146. 10. काम्यके पुरुषर्षभाः 3. 49. 24. काम्यके भरतर्षभ 3. 23. 500. काम्यके भरतश्रेष्ठाः 3.248. 1. काम्यके मामुपस्थितः 7. 158. 284. काम्यके सह कृष्णया 3. 84. 16". काम्यते स्वर्गवासिभिः 7. App 8.900 post. काम्यनैमित्तिकाजस्रं 12. 322. 23%. काम्यनैमित्तिकाजनैः 7. App. 8. 380 pr. काम्यनैमित्तिकाश्च ये 3. 31. 14. काम्यया पृष्टवांस्त्वं मां 13.22.9". काम्यरूपवती चैषा 11. 20.7". काम्यश्चेत्येवमादयः 13. 27. 84. काम्यं कर्मफलं लब्ध्वा 12. 186. 14. काम्यं रूपं हि पाञ्चाल्याः 1. 182. 136. काम्यानां कर्मणां न्यासं 6. 40.2". काम्या ब्राह्मणसत्तम 13. 22.3. काम्याय हरिनेत्राय 7. 173. 22". काम्या शारदती चैव 1. 114. 536. काम्याष्टम्यां वर्तितव्यं त्रिरात्रं 13.75. 19deg. काम्याटम्यां वर्तितव्यं दशाहं 13. 70. 48deg. काम्यास्तद्गतमानसाः 13. App. 7A. 115 post. काम्यां पुष्टिं पृथग्दृष्ट्वा 12. 224. 63. काम्यां सर्वाङ्गशोभनाम् 7. 9. 29. कायक्लेशभयात्त्यजेत् 6. 40.8. कायक्लेशविवर्जितः 12. 263. 264. कायक्लेशाश्च विविधाः 13. App. 10. 398 pr. कायक्लेशेन महता 13. App. 15. 4586 pr. कायदोषविमुक्तस्तु 13. App. 15.3403 pr. कायप्रक्षालनं च यत् 13. App. 15. 2957 post. कायमभ्यन्तरं कृत्स्नं 14. 19. 34deg. कायमभ्यपतच्छरः 4.55.24. कायमुनाम्य भास्वरम् 13. App. 11. 227 post. कायच्या दरदा दार्वाः 2. 48. 12". कायशोधनमासाद्य 3.81. 35%. कायशौचं च कार्य च 13. App. 15. 596 pr. कायश्रमहरं परम् 13. App. 15. 4544 post. कायस्य महतो भेदे 8. 22.356. कार्य चामेध्यसंघातं 14. 18. 30%. कायं निर्भिद्य मर्मणि 6. 97. 15. कायाच्छिरस्तस्य बलात्प्रमथ्य 3. 120.9. कायाच्छिरः सर्पविषाग्निकल्पैः 3. 120.8. कायाच्छिरः संनहनीयमध्यात् 9. 16. 26. कायाच्छीर्षमपाहर 7. 1009*. 23 post. -700
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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