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________________ कागवेयैरिव प्रभो] महाभारतस्थ [कान्तारेष्वपि विश्रामः कादवेयैरिव प्रभो 8: 40. 974. काननद्वीपकांश्चैव 2. 311*. 1 pr. ; App. 15. 6 pr. काननं च मनोरमम् 1. 307*. 3 post. काननं चित्रितं यथा 4.569*. 1 post. काननाक्रीडनप्रभा 9.270*. 1 post. काननानि च सर्वशः 13. 61. 67'. काननानि च संजय 6. 6. 24. काननानि तपात्यये 3. 179.64. काननानि सुगन्धीनि 2. 3. 32". काननाश्च विकुञ्जाश्च 6. 52. 9". काननेषु च माधवः 1. App. 117. 1 post. काननेषु च रम्येषु 1. 102. 9. 16.8. 42". काननेषु जलेषु च 1. 163. 14. काननेषु विचित्रेषु 1. 1564*. 1 pr. काननेष्विव पुष्पाणि 12. 120. 11. काननैरुपशोभिताम् 3. 186. 981. काननैश्च मनोरमैः 1. App. 114. 212 post. 3. 155.86". काननैश्चोपशोभिताम् 3. 160.5*. काननोपलशैलांश्च 13. 61. 69. कानयोराह्निकक्रिया 12. 321. 19". का नाम सा व्रतचर्या च तस्य 3. 112. 18. कानि कर्माणि धाणि 12. 285. 35%. कानि कृत्वेह कर्माणि 12.35.1". कानि चाभ्यवहार्याणि 3. 157. 20. कानिचित्पद्मवर्णानि 13. App. 9A. 48 pr. कानिचिद्यानि दुर्गाणि 13. 77.9". कानिचिल्लोहितानि वै 13. App. 9A. 50 post. कानि जित्वा च भारत 12. 289. 42. कानि तानि यतव्रत 3. 200. 53. कानि तान्यग्निहोत्राणि 13. App. 3A. 395 pr. कानि तीर्थानि भगवन् 13. App. 1. 30 pr.; App. 7A. 229 pr. कानि तीर्थानि लोकेश 13. App. 15. 3090 pr. कानि तेषां व्रतानि च 14. App. 4. 1666 post. कानि दानानि लोकेऽस्मिन् 13. 62. 1". कानि पण्यानि विक्रीणन् 12.79. 3. कानि यज्ञे हवींष्यत्र 12.99. 14. कानि रूपाणि शक्रस्य 13. 40. 26deg. कानि लिङ्गानि दुष्टस्य 12. 104. 44. कानि वा व्रजतस्तस्य 5. 82.3. कानि श्राद्धेषु वानि 13. 91.2 कानि सान्त्वानि गोविन्दः 5. 138.2% कानि स्थानानि भेजिरे 18. 1. 1. कानीनगर्भः पितृकन्यकायां 12. 337. 48. कानीनश्च सहोढश्च 5. 138. 8. 14. App. 4. 475 pr. कानीनस्त्वं मया जातः 5. 143. 36. कानीनं तं वदेन्नाम्ना 13. 313*. 17 pr. कानीनाध्यूढजौ चापि 13. 49.26%. कानीनापसदास्तथा 13. 49.5*. कानीना हव्यकव्यदाः 13. App. TA. 75 post. कानीह भूतान्युपसेवसे त्वं 13. 11. 4". का नु गच्छेद्वनं दुर्ग 15. 24.6. का नु जीवेत माशी 4. 17.36.54 का नु तस्य गतिर्भवेत् 13. 73. 1. का नु तासां वरस्त्रीणां 12. 33.7. 13.57.30. का नु तेषां गतिर्ब्रह्मन् 15. 36. 30deg. का नु तेषां गतिः प्रभो 15. 37. 134. का नु पुंसां रतिर्भवेत् 4.205*. 3 post. का नु प्रज्ञा श्रुतं वा किं 12. 172.86. का नु सीमन्तिनी स्वाक् 5. 88. 90*. का नु सीमन्तिनी माइक् 5. 80. 20deg. कान्तत्वं सत्यमक्षति: 3.218. 34. कान्तत्वं सर्वभूतानां 1. 2003*.3 pr. कान्तमन्ववसं चिरम् 12.168. 48. कान्तरूपमकल्मषम् 13. 14. 14. कान्तरूपा वपुष्मती 1. 203. 16. काम्ता दिव्याश्च राजेन्द्र 5. 175.9. कान्ताभिरपरांस्तत्र 13. 54. 13. कान्तामिः सह मोदते 13. 110.80*. कान्ताभिः सहितानन्यान् 3. 155. 55". कान्तायास्त्वनुपूर्वशः 13. 101.24. कान्तार इति निश्चितम् 12. 366*.2 post. कान्तारकांश्च समरे 2. App. 13.bpr. कान्तारकृतनिश्रमाः 12. 90. 224. कान्तारगहनेषु च 12. App. 28. 372 post. कान्तारभयदुर्गेषु 6. App. 1. 27 pr. कान्तारमिति किं प्रोक्तं 12. App. 15. 43 pr. कान्तारवनदुर्गेषु 5. 39. 53. कान्तारं यः प्रपन्नस्तु 13. 366*. 1 pr. कान्तारे ब्राह्मणान्गाश्च 13.72. 44. कान्तारेष्वटवीषु च 4. App. 4D. 41 post.; App. 4F. 45 post. ; App. 4G. 47 post. कान्तारेवथ घोरेषु 13. 116. 28deg. कान्तारेष्वपि मनानां 4. App. 4F. 43 pr. कान्तारेष्वपि विश्रामः 1. 68. 43%. -690
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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