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________________ कर्म त्रासयते बलात् ] महाभारतस्थ [कर्मभिश्च शुचिस्मिते कर्म त्रासयते बलात् 12. 137. 43d. कर्म त्वं कर्तुमर्हसि 7. 85. 664. कर्म स्वाश्रयते क्रमात् 13. App. 15. 2501 post. कर्म त्विह न सिध्यति 10. 2. 19'. कर्म त्वेके प्रशंसन्ति 12. 233. 90. कर्म दग्ध्वा शुभाशुभम् 12. 289. 41. कर्म दानवसूदनम् 1. App. 42. 11 post. कर्मदायादवाल्लोकः 13. 1. 66". कर्म दुःखफलोदयम् 12. 280.6'. कर्म दृश्येन्महाफलम् 10. 2. 136. कर्म दृष्टं तदैव ते 5. 120*. 1 post. कर्मदृष्टयाथ भृत्यांस्त्वं 15. 10. 11". कर्म दृष्ट्वा च फल्गुन 8. 50. 16. कर्म दृष्ट्वातिमानुषम् 1. 94. 250%; 152. 11. 4. 54. 61. कर्म दृष्ट्वा महर्षयः 1. 343*. 1 post. कर्म देवकृतं देवाः 13. 119. 4". कर्म देवैः सुदुष्करम् 6. 61. 1". कर्म दैवं च संश्रितम् 2. 15. 11'. कर्मदोषश्च वै विद्वन् 3. 206. 10". कर्मदोषान्परस्परम् 13. 49*.5 post. कर्मदोषास्त्विमे पञ्च 13. App. 14. 439A 10 pr. कर्मदोषेण विषमां 3. 206, 130 कर्मदोषो भवत्ययम् 3. 199. 24. कर्म धर्मभृतां वर 13.2.73d. कर्म धर्मविरुद्धं वै 3. 1222*. 1 pr. कर्म नानाविधं सदा 13. App. 15. 2348 post. कर्मनाशः कथं त्विह 3. 33. 296. कर्मनिवृत्तिमेव च 3. 34. 334. कर्मनिर्वेदमब्रवीत् 12. 211. 20. कर्मनिर्वेदमुक्त्वा च 12. 211. 20deg. कर्मनिष्ठान्धनंजय 12. App. 4. 10 post. कर्मनिष्ठाश्च भारत 13. 90. 43. कर्मनिष्ठां तथैवान्ये 12. 308. 30. कर्मनिष्ठांस्तु बुध्येथाः 12. 20.6%. कर्मन्यासकृतानां च 13. 16. 620. कर्मन्यासमहं मन्ये 17. 1. 39. कर्मपाकफलं प्रिये 13. App. 15. 2203 post. कर्मपाकफलानि च 13. App. 15.55 post. कर्म पाण्डव गर्हितम् 3. 159. 20. कर्म पापमचेतना 14. 36. 18. कर्म पापयुतं सदा 13. App. 15. 2351 post. कर्म पापं दुरात्मनः 5. 77.21". कर्म पार्थस्य धीमतः 3. 46. 3. कर्म पार्थस्य वर्धयन् 14.77. 450. कर्म पुत्रस्य तत्तदा 12. 320. 21". कर्म पूर्वकृतं नरम् 11. 2. 22d. कर्मप्रकारेण तथा 13. App. 15. 2326 pr. कर्म प्रत्ययकारकम् 2.5*. 3 post, कर्म प्रारभते नरः 6. 40. 15. कर्म प्रावर्तयस्ततः 3. 1149*. 1 post. कर्म प्राहुर्मनीषिणः 6. 40. 3. कर्मबन्धनिबन्धनः 3. 200.244. कर्मबन्धनिबन्धनाः 3. 200. 34. कर्मबन्धं प्रहास्यसि 6. 24. 394. कर्मबीजप्रवर्तनात् 12. 568*. 4 post. कर्मबीजं तथा कृतम् 12.211. 32. कर्मबुद्धिरबुद्धित्वात् 14. 34.6%. कर्मबुद्धिश्च रश्मयः 11.7.136. कर्मबुद्धिः प्रशस्यते 3.33. 11. कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि 6. 25. 156. कर्मभागमनुव्रताः 12.523*. 4 post. कर्मभिर्दर्शितां गतिम् 13. App. 3. 128 post. कर्ममिदेवकल्पानां 3. 135. 11'. कर्ममिर्देवसंमितैः 2. 18. 264. कर्मभिर्देहिनां गतिम् 14. 16. 204. कर्मभिर्धर्मसेतवः 14. 35. 344. कर्मभिर्न स बध्यते 6. 26. 144. 12. 169. 251. कर्ममिनित्यदुःखितः 12. 316. 54". कर्मभिर्नियतैर्बद्धः 13.544*. 4 pr. कर्मभिर्निरयं गतः 14. 17.34. कर्मभिर्निर्जिते शुभैः 17. 3. 31. कर्मभिर्निवृताः प्रजाः 13. 61. 41. कर्मभिनँव दुष्यते 13. 295*. 4 post. कर्मभिर्नोपपद्यते 12. 318. 52. कर्मभिर्बहुभिश्चापि 3. 1026*. 2 pr. कर्मभिर्बहुभिः ख्यातान् 3. 207. 20deg. कर्मभिर्बहुभिः पापैः 14. 111*. 10 pr. कर्मभिर्भीमसेनस्य 7. 33. 9". कर्मभिर्मन्थवत्सदा 12. 316. 56f. कर्मभिर्लभतेऽवशः 12. 316. 250. कर्मभिर्वञ्चितोऽथ वा 12. App. 9. 20 post. कर्मभिर्वर्णतां गतम् 12. 181. 100. कर्मभिर्व्यञ्जितश्रमाः 7. 33. 1. कर्मभिर्व्यापृतं जगत् 12. 10. 28. कर्मभिश्च प्रचोदिताः 12. App. 1. 29 post. कर्मभिश्च शुचिस्मिते 13. 131. 574 - 666 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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