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________________ कर्णेनामित्रघातिना] महाभारतस्थ [कर्णो मद्राधिपं तदा कर्णेनामित्रघातिना 2. 27. 174 कर्णेनामित्रसूदन 4. App. 42. 14 post. कर्णेनास्त्रममुञ्चत 8. App. 9. 10A 2 post. कर्णेनाहवशोभिना 3. 243. 23. 8. 46. 22%3; 204*. 3 post. कर्णेनैकेन यस्यार्थे 9. 173*. 4 pr. कर्णेनैकेन समरे 8. 443*. 8 pr. कर्णेनैव प्रसारिता 9. 173*.5 post. कर्णेनोक्तानि भारत 7. 843*. 2 post. कर्णे पराजिते यत्र 1. App. 99. 4A 12 pr. कर्णे पार्थेन विक्षिप्त 7.922*.3 pr. कर्णे मधुनिहा नृप 7. 157. 11. कर्णे युधि किरीटिना 8.5.58. कणे वाजस्य दक्षिणे 13. 399*. 1 post. कर्णेषुभिर्भूमितले स्तनन्तः 8. 1067*. 10. कर्णेषुमिभूमितले स्वनन्तः 8. 1046*. 18. कणे सर्वास्त्रपारगे 4. App. 45. 100 post. कणे सेनापतौ राजन् 8. 1. 15. कणे हते कुरवः प्राद्रवन्त 8.67. 36%. कणे हते पार्थभयात्प्रदुद्रुवुः 8. 1170*. 1. कर्णोऽचरदभीतवत् 8. 40. 58". कर्णो जघान संक्रुद्धः 8. 40. 2%; 501*. 4 pr. कर्णो जयतु संयुगे 8. 992*. 4 post. कर्णों जाम्बूनदैर्जालैः 7. 106. 30%. कर्णो जित्वा महारथान् 3. App. 24. 49 post. कर्णो जेष्यति पाण्डवान् 8. 68*.2 post.; 69*. 2 post. कर्णो जेष्यति संग्रामे 7. 106. 10. कर्णोऽथ पूर्व दशमिः पृषकैः 8. 1029*. 1. कर्णोऽथ शरजालेन 8. App. 18. 68 pr. कर्णो दुर्योधनस्तथा 1. 1452*. 1 post. कर्णो दुर्योधनं वाक्यं 8.75*.2 pr. कर्णो दुःशासनं त्वाह 2. 61. 81. कर्णो दुःशासनोऽहं च 7. 110. 18. कर्णो दृष्ट्वा महीधरम् 7. 150. 68. कर्णो दैन्यादधोमुखः 12. 2. 29. कर्णो दौर्योधने बले 14.59. 19. कों द्रावयते तथा 8. 40. 594. कर्णो द्रौणिर्मद्रराजश्च शूरः 1. 1. 140'. कों द्वात्रिंशता चैव 7.79. 26deg. कर्णो द्वादशधा राजन् 7. 145. 13. कर्णो द्वादशमिर्बाणैः 7.31.3". कर्णो द्वाविंशतिं भल्लान् 7. 46. 18%. कर्णो द्वीपोऽभवत्तदा 8.849*. 1 post. कर्णो धारयतेऽर्जुन 8. 41. 4. कर्णो निन्नति संयुगे 8.780*. 1 post. को निष्कासयामास 8.7.13. कर्णो न्यस्य रथे धनुः 7. 150.91. कर्णोऽपि चास्य चिक्षेप 7. 292*.3 pr. कर्णोऽपि दृष्ट्वा द्रवतः 8. 34. 3deg. कर्णोऽपि द्विषतां हन्ता 7. 120. 68. कर्णोऽपि निशितैर्बाणैः 8. 32. 21". कर्णोऽपि नोत्तरं प्राह 8. 30. 88%. कर्णोऽपि पार्थ सहवासुदेवं 8. 1030*. 17. कर्णोऽपि भीमसेनस्य 7. App. 12. 10 pr. कर्णोऽपि भृशसंक्रुद्धः 8. App. 18. 53 pr. कर्णोऽपि भ्रातृसहित 3. App. 25.51 pr. कर्णोऽपि रथिनां वरः 4. App.42. 18 post. 7. 152. 16%, कर्णोऽपि रथिनां श्रेष्ठः 7. 134,9%; App. 11. 8 pr. कर्णोऽपि राजन्संप्राप्य 8. 6. 45". कर्णोऽपि विबभौ शूरः 7. 47. 3. कर्णोऽपि विह्वलो राजन् 7. 122. 66%. कर्णोऽपि समदृश्यत 1. 126. 250. कर्णोऽपि समरे राजन् 8. 35. 39%; 56. 35%. कर्णोऽपि स्वगृहं गत्वा 3. 1169*. 1 pr. कर्णोऽपि स्वं रथं तूर्णं 4. App. 42. 30 pr.. कर्णोऽप्यन्यद्धनुर्गृह्य 7. 108. 26%3; 1286*. 1 pr. कर्णोऽप्यभ्यद्रवद्रिपून् 7. 122. 85'. कर्णोऽप्यभ्यपतद्धीमान् 7. 801*. 1 pr. कर्णोऽप्यभ्यपतली 7. 104. f. कर्णोऽप्याकर्णनिःसृतैः 8. 56. 13. कर्णोऽप्याविष्टचित्तात्मा 3. 240. 32". कर्णो बभौ रुद्र इवाततेषुः 8. 65. 364. कर्णो बाणानथापरान् 4. 65. 19deg. कर्णो बुद्धिमतां वरः 7. 917*. 8 post. कर्णोऽब्रवीत्पार्थशरामितप्तः 4. App. 54. 17. कर्णोऽब्रवीदापतत्येष जिष्णुः 4. App. 54. 27. कर्णो भारत दुर्मनाः 7. 111. 6. कर्णोऽभिषेकाशिराः 1. 127. 2. कर्णो भीमबलार्दितः 7. 109. 33. कर्णो भीमादपायासीत् 7. 114. 84deg. कर्णो भूरिश्रवा द्रौणिः 7. 53. 26". कर्णो भूरिश्रवास्तथा 5.54. 42. का भृशमपीडयत् 7. 907*. 1 post. कर्णो भृशं न्यश्वसदश्रु वर्तयन् 7. 2.84. कर्णोऽभ्यद्रुह्यत प्रभो 8. 51. 72. कर्णोऽभ्यर्च्य यथाविधि 8. 26. 8. कर्णो मद्राधिपं तदा 8. 386*. 11 post. -656
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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