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________________ कनकः काञ्चनः स्थिरः] स्लोकपादसूची [कन्या चाशु प्रदीयते कनकः काञ्चनः स्थिरः 13.17.90. कनकाङ्गदकेयूरैः 7. 113. 21". कनकाजिरभूषिताम् 5. 46. 4. कनकायुदृढायुधः 1. 108. 8%; App. 41. 16 post. कनकायुर्विरोचनः 1. 177.24. कनकेति च विख्यातः 13. App. 1A. 246 pr. कनकोजवलकुण्डलम् 3. 292.5. कनकोत्तमभूषणः 2. 53. 22. कनकोत्तमभूषणाः 6. 19. 264. कनकोत्तमसंकाशः 8. 68. 43". कनिष्ठस्तु विशेषतः 13. 523*. 1 post. कनिष्ठ बलमुच्यते 5. 37. 484. कनिष्ठः कतमश्च ते 1. 224. 224. कनिष्ठः कृष्णपिङ्गलः 13. 17. 130'. कनिष्ठाच्छ्रतकर्मा तु 3. 13. 66deg. कनिष्ठानपरानिमान् 1. 139. 27'. कनिष्ठाय सुवर्चसे 7. 173. 20f. कनिष्ठाश्च यथा ज्येष्ठे 13. 108. 1. कनिष्ठास्तं नमस्येरन् 13. 108. 17. कनिष्ठिकायाः पश्चात्तु 13. 107. 96deg. कनिष्ठातृमिवंतः 2. 64. 12. कनिष्ठैश्चाभिवादितः 8. App. 25. 15 post. कनीनिकायामशिरः 13. App. 11. 379 pr. कनीयसः समाघ्राय 1. App. 72.86 pr. कनीयानपि स ज्येष्ठः 1. App. 82. 15 pr. कनीयानपि सन्नृपः 5. 147. 30. कनीयानपि स प्रभो 1. 80. 22. कनीयानुरुविक्रमः 3. 39*. 3 post. कनीयान्कि करिष्यति 1. 223. 4. कनीयान्पाण्डुनन्दनः 1. 126. 31'. कनीयान्प्रत्यभाषत 12. 7. 41'. कनीयान्मध्यमः श्रेष्ठः 5. 33. 55. कनीयान्मम दायादः 1. 80. 20deg. कनीयान्मम पार्थिवः 5. 145. 20. कनीयान्राज्यमर्हति 1. 80. 15. कनीयान्सत्यविक्रमः 1. 70. 40". कनीयांसमुपह्वरे 1. 155.9%; App. 79. 20 post. कनीयांसोऽभिवर्धन्ते 2. 478*. 4 pr. कनीयांसो विवर्धन्ते 2. 49. 24. कनीयांस्तस्य दायादः 2. App. 15. 134 pr. कनीयांस्तु कनीयसम् 13. 47. 60". कनेर्धातोश्च भामिनि 3. 291. 13. कन्दमूलफलाशिनाम् 13. 14. 82". कन्दराणि नितम्बांश्च 1. App. 48. 3 pr. कन्दरान्तरसानुषु 4.500*. 1 post. कन्दरा बहुयोजना 9. 45. 9. कन्दरायां गिरीन्द्रस्य 2. 13. 62deg. कन्दरांश्च नितम्बांश्च 3. 61. 105*. कन्दरेषु च शैलानां 5. 116. 18%. 12. 144. 4". कन्दर्प इव रूपेण 3. 50. 14. कन्दर्पबाणाभिनिपीडिताङ्गाः 1. 178.50. कन्दर्पबाणाभिहता बभूवुः 1. 178. 12. कन्दर्पवेगाभिहतोऽस्यनिन्दिते 4.267*. 7. कन्दर्पः समजायत 1. 211. 15. कन्दर्पण च दर्पिताः 1. 209. 2. कन्दर्पणास्मि मूर्छिता 1. 206. 19*. कन्दानि च फलानि च 1. App. 45. 12 post. कन्यका दुःशला चैव 1. 1158*.2 pr. कन्यका नयतेऽग्नये 13. App. 7A. 69 post. कन्यकानां महामते 13. App. TA. 98 post. कन्यकानां विशेषतः 13. 19*. 24 post. कन्यका प्राज्ञमानिना 2. 38. 21'. कन्यका यो भजेन्नरः 13. App. TA. 94 post. कन्यका सदृशेश्वरे 13. App. 7A. 57 post. कन्यकासु प्रतिष्ठिता 13. App. TA. 88 post. कन्यकुब्जेऽपिबत्सोमं 3.85. 12. कन्यकुब्जे महानासीत् 1. 165. 30. 3. 115. 9". कम्यया गालवस्तदा 5. 114. 14'. कम्यया परितोषितः 3.289.21". कम्यया वा धनं महत् 12.226. 11'. कम्यया विप्रसंसदि 1. 96.50. कन्यया सह भारत 5. 177.23. कम्यसी वृत्तिमास्थितः 12. 207. 104. कन्या इत्यृषिचोदितम् 13. 44. 35. कन्या ऋतुमती सती 13. 44. 15. कन्या कमलपत्राक्षी 4. 333*. 10 pr. कन्याकुब्जे च काम्पिल्ये 1. 1685*. 1 pr. कन्याकूप उपस्पृश्य 13. 26. 18%. कन्या गर्भ समाधत्त 5. 139. 3. कन्यागर्भः पृथुयशाः 1. 126. 36. कन्यागों विनिर्मितः 12. 2. 44. कन्या गुणवते वरे 13. 44. 36. कन्या च तिष्ठतामत्र 12. App. 20. 170 pr. कन्या च संस्थिता तत्र. 12. App. 19. 90 pr. कन्या चाक्षतयोनिः स्यात् 14. App. 4. 466 pr. कन्या चाशु प्रदीयते I. App. 32. 2 post. पादसूची-80 -633
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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