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________________ आवृणोत्सदिवाकरम् ] महाभारतस्थ [आशंसमानो विजयं आवृणोत्सदिवाकरम् 7. 6. 24. आवृणोन्मन्दरं गिरिम् 1. 10. 224. श्रावृणोन्महदाकाशं 1. App. 114. 423 pr. आवृणोन्मां महाशरैः 3. 163. 24. आवृण्वशरवृष्टिमिः 7. 112. 21'. आवृण्वन्सर्वतो व्योम 3. 168.56. आवृण्वानं दिशः सर्वाः 7. 1423*. 5 pr. आवृण्वानं महाज्वालम् 1. 28. 23. आवृतत्वाच्च लोकस्य 7. 17.3. आवृतं गगनं मेधैः 1. 127. 23. आवृतं गजसंस्थितैः 1. App. 117. 13 post. आवृतं ज्ञानमेतेन 6. 25. 390. आवृतं तमसा चेतः 5. 121.86. भावृतं ददृशुलॊकं 1. 105. 23deg. आवृतं पुण्यकीर्तिभिः 12. 144. 11'. आवृतं बलशोभत 9. 22.44. आवृतं रुधिराविलैः 11. 16.6. आवृतात्मा न बुध्यते 12. 287. 254. आवृतानि वरस्त्रीमिः 5.87.9. आवृता यैरिमे लोकाः 12. 177. 1. भावृतासीद्वसुंधरा 6. 112. 116. आवृताः पत्रिभिस्तीक्ष्णैः 7. 166. 39. आवृताः सैनिकास्तव 9. 16. 58. आवृते वसुधातले 9. 22. 531. आवृते व्योम्नि रेणुना 3. 143.8. आवृत्तजिह्वस्य सतः 13. 84. 41". आवृत्तं कुरुजाङ्गले 12. 29. 26'. आवृत्तिर्विद्यते पुनः 12. 294. 46. भावृत्तिस्तत्र चैकस्य 12. 255. 290. भावृत्तिं च धनंजय 3. 165.6. आवृत्तिं चैव योगिनः 6. 30. 23. आवृत्ते भगवत्य: 12. 46. 2903; 291. 4. आवृत्य गगन मेघाः 14.76. 19. भावृत्य ज्वलनात्मजः 9. 43: 10. भावृत्य तु महाबाहुः 4.53. 68deg. आवृत्य नेयेष पुनस्तु युद्धं 8. 12. 69". भावृत्य पुरुषास्थितान् 12. 263. 46'. आवृत्य बाहुभिश्चापि 2. App. 7. 14 pr. भावृत्य मार्ग रौद्रात्मा 3. 11. 23. आवृत्य रथिनां वरः 4. 920*. 2 post. भावृत्य सर्वतस्ते मां 3. 167. 2. भावृत्य संशप्तकसैन्यमार्छत् 8. 12. 544. भावृत्यैवं व्यवस्थितम् 12. 504*. 1 post. भावेगाद्यत्तु रुधिरं 12. 99. 21". आवेदनीय आवेशः 13. 17. 115". आवेद्योऽहमिहागतः 12. 345. 11'. आवेधेभ्यः प्रवर्तते 12.98. 13. आवेशं च परं ययुः 9. 5. 211. आवेश्यात्मनि चात्मानं 12. 289. 38". आवेश्योचुनराधिपम् 15. 15. 10. आवेष्टयत तां सेनां 7. 25. 54deg. आवेष्टितकरं रौद्रं 13. 14. 89. आव्यक्तिकस्य सादृश्य 12. App. 29D. 92 pr. आशङ्कते च मां पापां 3. App. 10. 88 pr. . आशङ्कमानः सहरौहिणेयः 1. 183. 2. आशङ्कमाना तत्पापं 3. App. 10.76 pr. BApp. 12. 30 pr. भाशङ्कमाना सा पापं 3. App. 11. 78 pr. आशङ्कमानो नृपतेर्विधानम् 3. 113. 16. आशङ्काजननेन च 13. 59. 50. आशङ्कां च करिष्यामः 4. 150*. 1 pr. आशया त्वत्सकाशाच्च 12. App. 29E. 258 pr. आशया त्वभिपन्नानां 12.348.9%. आशया परया प्राप्तः 14.93. 87. आशया पुरुषः पतन् 12. 10. 11'. आशया पूर्वजातया 13. 9. 17. आशयाभ्यागतं विप्रं 13. 350*. 1 pr. आशयाश्चोदपानाच 12. 87. 156. आशया संचितं द्रव्यं 12. 186. 296. 13. 148. 33%. आशया हि तया हतम् 14. App. 4. 991 post. आशंसत परित्राणं 7. 126. 23deg. आशंसते च पुत्रेषु 3. 196. 180. आशंसते च बीभत्सुं 7. 134. 36deg. आशंसते धार्तराष्ट्रो बलेन 5. 47. 82. आशंसते इतराष्ट्रस्य पुत्रः 5.90.226. आशंसते वे धृतराष्ट्रः सपुत्रः 5. 26. 19. आशंसन्तस्तदा जयम् 8. 28. 36". आशंसन्तः पराञ्जेतुं 7. 8. 18%.. भाशंसन्ति गृहात्सदा 13. 101. 57. भाशंसन्ते हि पितरः 13. 62. 20deg. आशंसन्तो जयं युद्धे 6. 1.4". आशंसन्तो बन्दिनं जेतुकामाः 3. 659*. 5. आशंसन्तोऽस्माकमनुस्मरन्तः 5. 150*. 3. भाशंसमानेषु जयं 8. App. 37. 20 pr. आशंसमानो द्वैरथे वासुदेवम् 5. 22. 28. आशंसमानो विजयं 5. 65. 30. - 356 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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