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________________ भवक्षिप्तावधूतानां ] श्लोकपादसूची [ अवताराभिनिःस्रोत अवक्षिप्तावधूतानां 6. 44. 170. अवक्षुतावरुदितं 13.91. 41. अवक्षेपं तु तं दृष्ट्वा 9.57.34". अवक्षेपोऽतिनिदिः 7. 13. 64". अवगच्छ युधिष्ठिर 12. 130.21. अवगच्छामि केशव 12.54. 214. अवगच्छाम्यगस्त्य त्वां 12. App. 29E. 412 pr. अवगम्य युयुत्सतः 7. 157.380. अवगाढमथो द्रोणं 1. 123.690. अवगाढश्च सरसि 13. 12. 320. अवगाढा च पीता च 3. App. 13. 12 pr. अवगाढा द्विषन्तो मे 4.1111*. 1 pr. अवगाढा नगोत्तमैः 13. 80. 21. अवगाढा मजयन्त्यः 8.36.320. अबगाढा ह्यविद्वांसः 12.241... अवगाढा धुभयतः 6.7.20. अवगाढे रथे भूमौ 8. 66. 11". अवगाढो न दृश्यते 12. 197.5%. अवगाढोऽसिपत्रवनभिन्नगात्रः 12. 309. 31. अवगाहन्त्वतन्द्रिताः 15. 41. 184. अवगाहेत्ततो जलम् 13. App. 14. 97 post. अवगाहे भिनभि च 7. 34. 18d. अवगाह्य ततः स्त्रातः 13. 12.9. अवगाह्य ततो भूमि 5. 96.6". अवगाह्य तस्मिन्सरसि 3. 81.536. अवगाह्य तु तां राजा 18.3. 39. अवगाह्य पिबन्ते च 13. App. 14. 221B 34 pr. अवगाह्य महात्मानः 15.41. 134. अवगाह्य सुविद्वांसः 12. 187.52". अवगाह्याजुहावाथ 15. 40. 4'. अवगाह्यापगां पुण्यां 12.24.23%. अवगाहावमजन्तः 7. 19.62. अवगायैव विचितौ 5.95. 17. अबघुष्टं च यदुक्तं 13.24.50. 14. App. 4, 2058 pr. अवघुष्टं पुरे चापि 1. 124.9%.. अवचर्दिवौकसः 12. 319. 14. अवचक्रे चमू तव 7.24.2. अवचके समन्ततः 3. 172. 15d. अवच्छन्ना धराभवत् 9. 152*. 1 post. अवच्छन्नौ ततः कृष्णौ 8. 45.4". अवजानन्ति नूनं त्वां 13. 125. 11. अवजानन्ति मानवाः 12. 131.6. अवजानन्ति मां मूढाः 6. 31. 11". अवजानन्महात्मानं 6. 62. 22. अवजानाति दुर्मतिः 16. 43*. 2 post. अवजिग्ये नराधिपान 12. 4. 196. अवजित्य च तद्धनम् 1. 205.21". अवजित्य ततः संख्ये 6.82. 47. अवजित्य धनं चापि 4. 63. 1". अवजित्य सपार्थिवाम् 14.89. 18. अवजित्य सुशर्माणं 4. 32. 31". अबजेष्यामि ते पशून् 4. 36. 440; 40. 4. अवज्ञया दीयते यत् 12.282. 194. अवज्ञातः सुखं शेते 12.222.210. अवज्ञाता च लोकस्य 1.146. 194. अवज्ञाता भविन्यामः 1. 129. 160. अवज्ञाता भविन्यामि 5. 174. 11. 13. 81. 180. अवज्ञातावधूताश्च 13. 101. 36deg. अवज्ञातास्त्वया नित्यं 13.82. 14deg. अवज्ञाताः पुरा किल 13. 14. 62deg. अवज्ञाताः सुरेन्द्रेण 1. 318*. 3 pr. अवज्ञातोऽपि केशवः 5. 86.61. अवज्ञानमहंकारः 12. 184.15. अवज्ञानसहौस्तु 12. 171. 350. अवज्ञानं हि लोकेऽस्मिन् 3. 29. 19". अवज्ञानेन कुरुते 12. 190. 44. अवज्ञापूर्वकं वीरः 7. 39.230. अवज्ञापूर्व केनापि 12. 291*. 1 pr. अवज्ञाय च मां नूनं 7. 166. 25deg. अवज्ञाय तु यत्तेऽहं 5. 103. 150. अवज्ञाय नशक्यो वा 12. 114.5. अवज्ञाय नशिव्यसि 6.64. 164. अवज्ञाय हि तं भृत्याः 3.29.90. अवज्ञायेत पृषतः 1. 1857*. 1 pr. अवज्ञायेह वृद्धत्वं 1. 1855*. 1 pr. अवज्ञात्यन्ति मां लोकाः 3. 218. 15. अबडीनं प्रडीनं च 8.324*. 1 pr. अवतर्तुं महीं सर्वे 3. 260. 8. अवतर्तु महीं स्वगत् 1.59. 1. अवतस्तार फाल्गुनिः 7. 35. 30*. अवतस्थे चमूमुखे 6. 113. 21. अवतस्थे महाप्राज्ञः 1. 120.10. अवतानैस्तथा गुल्मैः 2.9. 3. अवतारयदर्जुन: 4.5.4. अवतारयितुं पुनः 5. 128. 314. अवताराभिनिःस्रोतं 12. 198.39. -223 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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