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________________ अब्रुवन्ब्राह्मणाः सिद्धाः] श्लोकपादसूची [अभयं याचमानाना अब्रुवन्ब्राह्मणाः सिद्धाः 3. 38. 18. अब्रुवन्रुधिरोक्षिताः 9. 22. 579. अब्रुवन्धाति सुरभिः 12. 276. 280. अब्रुवन्समरे स्थितम् 5. 186. 32. अब्रुवन्सहिताः शक्रं 13. 141. 26. अब्रुवन्साधु साध्विति 2. 36.64. अब्रुवन्सैनिकास्तत्र 7. 15. 40%. अब्रुवन्स्वमतान्युत 15. 15. ". अब्रुवन्हृष्टमनसः 13. App. 15.574 pr. अब्रुवं कामसंमूद 4. 20. 18. भब्रुवं कारणं किं तत् 5. 178. 15. अब्रुवं कुरुनन्दन 3. 163. 11". अब्रुवं च तदा कृष्ण 13. 14.93. अब्रुवं च तदा देवं 13. 14. 1780. अब्रुवं तमहं ब्रह्मन् 13. 15. 30. अब्रुवं तं महामुनिम् 13. 138*. 2 post. अब्रुवं दुर्वचं वचः 5. 176. 36%. अबुवं पाण्डवान्गत्वा 5. 46. 17. अबुवं पुनरेव तु 12. 31. 20deg. अब्रुवं पुरुषव्याघ्र 1. 122. 33. 11. 17.6. अब्रुवं मातलिं भीतं 3. 168. 230. अब्रुवं मातलिं हृष्टः 3. 170. 13%. अब्रुवं यदहं तात 12. 242. 21. अब्रुवं वाक्यमुत्तमम् 5. 180. 134. अब्रुवंश्च पिशाचास्तं 12. 253.7. अब्रुवश्च महाराज 3. 230. 1. 14. 65. 28". अब्रुवंश्च महावीर्य 1. 23. 6". अब्रुवंश्चासकृद्वीराः 9. 60.6. अब्रुवस्तत्र तापसाः 1. 111.5d. अब्रुवंस्तत्र राजानः 2. 36. 9. भब्रुवंस्तत्र सिद्धाश्च 7. 1288*. 1 pr. अब्रुवाणा समीपस्था 3.73.2. अब्रुवाणा हिडिम्बा तु 1. 1552*. 2 pr. अब्रूतां तात धर्मेण 5.306*. 1 pr. अब्रूतां तौ तदा रैभ्यं 3. 137. 11. अब्रूतां पुनरेव तु 3. 123. 5. भभक्तमटवीप्रायं 12. 289. 520. अभक्तिमत्कृतं सर्वं 14. App. 4. 3359 pr. अभक्षणे सर्वसुखं 13. 116. 580. अभक्षयत्ततो ग्रीवां 12. 113. 12. अभक्षयन्वृथामांसं 12.214. 11". 13. 93. 120. अभक्षस्यापि भक्षणम् 12. 139. 62deg. अभक्षितविनाशश्च 4. 1074*. 3 pr. अभक्षितविनाशं च 3. 14. 6". अभक्ष्यन्त बुभुक्षितैः 1. 63.20d. अभक्ष्यभक्षणरताः 12. 221. 786. अभक्ष्यभक्षणं चैव 13. App. 15. 2804 pr. 14.25. 10. अभक्ष्यभक्षणो मर्त्यः 13. App. 15. 2760 pr. अभक्ष्यभक्ष्यदाश्चैव 13. App. 15. 1812 pr. अभक्ष्यमिति मांसं सः 13. 116, 54". अभक्ष्यमेतदिति वा 13. 116.30%. अभक्ष्यस्य विशेषतः 12, 139. 51". अभक्ष्यं मनुरब्रवीत् 13. 116. 50'. अभक्ष्यं विषमेव च 12. 37. 164. अभक्ष्यापेयदातारं 12. App. 3. 10 pr. अभक्ष्या ब्राह्मणैर्मत्स्याः 12. 37. 17. अभक्ष्याहारदाश्चैव 13. App. 15. 1811 pr. अभक्ष्येण न लिप्यते 13. App. 15. 2831 post. अभग्नयोगो नियतोऽब्दमेकं 13. 18.56deg. अभप्नयोगो वर्षे तु 13. 17. 171. अभग्नः कैश्चिदप्येषः 3. 856*. 11 pr. अभग्नांश्चैव शंससि 6. 79.2". अभजत्पद्मरूपा श्रीः 3.218.39. अभासौरभी प्रजाम् 13. App. 9. 141 post. अभजन्त किरीटिनम् 8. App. 37. 12 post. अभज्यत जयोद्वतैः 8. 45. 22d. अभज्यत तरोः शाखा 1. 26. 1 . अभज्यत बलं तत्र 9.22.1". अभज्यत बलं सर्व 4.32.33%. अभज्यत महाराज 6. 55. 350; 102. 25.9.22. 31. अभज्यन्त महाराज 8.56.43%. अभज्यन्त युगैरेव 6. 44. 4. अभयस्य च दानेन 11. 26*. 4 pr. अभयस्यैव यो दाता 12.73. 250. अभयं क्रोधशमनं 12. 156. 12. अभयं क्षत्रियकुले 1. App. 45.21 pr. अभयं च ततः पश्चात् 14. App. 4. 3192 pr. अभयं च ददौ तस्मै 13. 31. 42. अभयं च पुनर्दत्तं 3. 218.7". अभयं च स जग्राह 2.28. 21. अभयं चानिमित्तं च 12. 191.70. अभयं तस्य भूतानि 13. 117. 220. अभयं नाम नामतः 14. 20.1". अभयं यस्य भूतेभ्यः 5. App. 3. 26 pr. 12. 154. 26. अभयं यः प्रयच्छति 13. App. 20. 404 post. अभयं याचमानानां 4.804*.2 pr. पादसूची-21 - 161 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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