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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख 79 असताजी सू. गोदणवाला की तरफ सु. थापित जगदगुरुदेव श्रीमदहीरसूरीश्वरजी के सन्तानीय अनुयोगाचार्य श्री हितविजयजी के शिष्य हिम्मतविजयेन श्रीमेवानगरे (356) 14. पार्श्वनाथ ॥सं. 1661 रा माध रा शुक्ल 13 दिने श्रीपारश्वताथजीबिम्ब कारापितं श्रीसधेन प्र. जगदगुरुदेव श्रीमद्विजयहीरसूरीश्वरजी के सन्तानीया अनुयोगाचार्य श्री हितविजयजी मा. के प. श्रीहिम्मत विजयेन श्रीमेवान गरे श्रीरस्तु / (357) 15. चक्रेश्वरीदेवी- . ॥सं. 1661 माघ शु 13 दिने श्रीचक्रेसरीजो की मूत्ति श्रीवलद रा वास्तव्य शा. मनरूपजी हुक्माजी वालों की तरफ ने कारापिता प्रतिष्ठिता अनुयोगाचार्य श्रीमहिन विजयजीमहाराज के शिष्य पन्यासजी श्रीहिम्मतविजयेन स्व-पर-कल्याणार्थे श्रीमेवानगरे श्रीरस्तु / (358) 16. पद्मावतीदेवी ॥सं 1961 माघ शु. 13 दिने श्रीपद्मावती वलदरा वास्तव्य शा. मनरूपजी हुक्माजी वालों की तरफ से कारापिता प्रतिष्ठिता अनुयोगाचार्य श्रीहितविजयजी म. के शिष्य पन्यास हिम्मतविजयेन स्व-पर-हितार्थ श्रीमेवानगरे। (356) 17. हित विजयः-- ॥सं. 1961 माघ शु. 13 दिने श्रीमद् प्राचीन अनुयोमाचार्य श्रीहित विजयजी महाराज की मूत्ति कारापितं मलादर वास्तव्य शा. नोपोजी तथा गुड़ा वास्तव्य शा. अचलाजी की तर्फ से दर्शनार्थ प्रतिष्ठितं, प्रापका ही शिष्य हिम्मतविजयेन गुरुभक्त्यर्थे स्थापितं // श्रीमेवानगरे श्रीरस्तु / (360) 18. स्वरूप श्रीपादुका:-- // सवत 1961 रा माघ शु. 13 शनिवारे गुरणीजी स्वरूपश्रीजी वर्ण-पादुका साध्वी सुन्दरश्री स्वपरदर्शनार्थ कारापितं तपागच्छाधिप अनुयोगाचार्य श्रीमद् स्वर्गस्थ गुरुदेव पं. हितविजजी महाराज के शिष्य श्री पं. हिम्मतविजयेन प्रतिष्ठित मेवानगरे लि. पं. चतुरसागर
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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