SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 58 ] बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख (254) 1. श्री मूलनायक जी पंच धातु प्रतिमा लेखः.. सं. 1270 वर्षे ज्येष्ठ सुदि 5 रवि श्रीश्रीमाल श्रे. भीमा भार्या तेजूश्रेयसे पुत्र श्रीपार्श्वनाथविब कारितां प्रतिष्ठितं अ. सलाखाये श्रीधनदेवसूरिशिष्य-श्रीधर्मचन्द्रसूरिभिः / विठूजा . बालोतरा से विठूजा बस मार्ग है / यह बस आसोतरा होकर जाती है। अाजकल विठजा में एक जैन घर है। किसी समय जैन-धर्म को मानने वालों को काफी बड़ी आबादी थी। यहां पर आज भी एक खण्डहर रूप में जैन-मन्दिर विद्यमान है / उस पर कोई लेख नहीं है। विशाला यह ग्राम बाड़मेर से उत्तर पश्चिम में पाया हुपा है / बाड़मेर से हरसारणी व गिराब जाने वाले बस मार्ग पर स्थित है। यहाँ पर पचधातु की बड़ी प्रतिमा है। जो करीब चालीस से. मीटर ऊंची होगी। मन्दिर श्रीविमलनाथजी का है। श्वेत पाषाण प्रतिमा पर कोई लेख नहीं है। . (255) - शिला लेख स्थापना:१. श्री गोड़ी पार्श्वनाथ नमः सं. 1688 वरषे नवो जिनचैत्य करावंत // श्रीवैसाला मध्ये। संवत 1878 वरष मासोतममासे भाद्रपदमासे शुक्लपक्षे 13 तिथौ / चन्द्रवारे। धनिष्ठानक्षत्रे सुकरमाजोगे / नवो जीर्णोद्धार करावतं / खरतरगच्छे जं.। जुगप्रधान भट्टारकजी श्रीश्री 108 श्रीजिनहरषसूरिजी विराज्ये / समस्त खरतर अांचलगच्छे श्रीसंघ पंचायती करावतं / प्रांचल गछे सा. श्री / मनरूप / आसकरण / महैस / मनरूप / खरतरगछे सा. ठाकरसी / मु. जेठा / सबला / सा. हीरा बेगड़गछे सा. देवा / समस्त श्रीसघ करावत // पं.।प्र। मनरूप / पं. धीरहर्षचन्द चतुर्मासीकृत्वा / / श्री / / सुभ भवतः कल्याण राठोड। बाहडमेरा / राजश्रीसोभासंघजी महासंघजी। राजसीयोत विजेराज्ये रु. 500 लागा छ / वैशाला मध्ये // श्री / / .
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy