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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख [ 53 सती नाम जतनादे कांकरीयाणी की। मु / / ताराजी री बेटी सं. / / 1608 मो / / फागुण सुदी 10 मडली यह ग्राम बालोतरा आगोलाई बस मार्ग पर आया हुआ है / यहां पर पुलिस थाना है / कोई जैन मन्दिर, उपासरा नहीं है / पास के गांव नेवड़ी के मुत्ता के शाजी मडली की सीमा में डकैतों से लड़ते हुए जूझार हो गये थे, उनको छतरो है। अाजकल नेवड़ो में भी कोई जैन घर नहीं है। (234) 1. जूझार मुत्ता केशाजी की मूर्ति पर लेखः - -: श्रीरामजी :__ संवत 1867 रा काती सुदी 11 वार बुध दिन मुत्ता केसरी रामावत जात हिरण विसनागरणजो, जोधा भीमसींग धीरजसींगोत रा वंमरा ऊँठों री वार काम पाया संवत 1867 रा काती सुदी 11 वार बुध रो पुतली मुत्ता मुकन केसराणी बैठाई। मिठोड़ा यह ग्राम बालोतरा पादरू बस के रास्ते पर आया हुया है। यहां से काफी जैन-परिवार सिवाना में जाकर बस गये हैं तथा वहां पर मिठोड़ों का बास के नाम से उनका मौहल्ला और मन्दिर है। गांव में एक शिखर बन्द मन्दिर है जिसमें श्रीमूलनायकजी श्रीसुविधिनाथजी की प्रतिमा है / . (235) ॐ अर्हते नमः 1. प्रतिष्ठा लेख: त्रैलोक्य पूजिताय श्रीसुविधिजिनेश्वराय नमः ख नेत्राकाश द्वि विक्रम संवतसरे 2020 ज्येष्ठ शुक्ल 12 बुधवासरे श्रीसुधर्मस्वामिनः सुविहित प्राचार्यपरम्परायां तपोगच्छप्रवर्तक श्रीमद्जगच्चन्द्रसूरि वद्यमान श्रीविजयरत्नसूरि, विजयप्रमोदसूरीशाणांपट्टे सु शोभायमान क्रियाद्वारक समर्थशासनप्रभावकाचार्यशिरोमरिणश्रीमदविजयराजेन्द्रसूरीश, श्रीमदविजयधनचन्द्रसूरीश, श्रीमद्विजयभूपेन्द्रसूरि, श्रीमद्विजययतिन्द्रसूरीश चरणचन्चरीक मुनिराजश्रीविद्याविजयेन श्री मिठोड़ा सकल
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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