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________________ 21 मूर्तिपूजा के समर्थक लेख और निबन्धों से विगत कुछ वर्षों में यह लाभ अवश्य हुअा है कि कुछ कट्टर विरोधी साधुओं--महासतित्रों को छोड़कर अधिकांश वर्ग ने मूर्तिपूजा का विरोध करना छोड़ दिया है। अनेक स्थानकवासी सद्गृहस्थों ने मंदिर में दर्शन करना प्रारम्भ कर दिया है, हालांकि वे लोग गांव में पूजा-भक्ति करने में कुछ हिचकाते हैं जरूर किन्तु तीर्थों में जाकर पूजा-भक्ति कर लेते हैं / मूर्तिपूजा में सावध है-हिंसा है इत्यादि जो पहिले घोषणा की जाती थी, वह भी अब तो मन्द होती जा रही है, क्योंकि मूर्तिपूजा में कोई हिंसादि दोष नहीं बल्कि अगणित लाभ ही है, इस तथ्य को शास्त्र, तर्क और अनुभव का पुष्ट समर्थन है / ___ समय समय पर मूर्तिपूजा के समर्थन में ऐसे लेख और निबंध लिखे ही जा रहे हैं और उसी का यह सत्प्रभाव है कि हजारों लोग पुनः मूर्तिपूजा को आदर से देखने लगे हैं। इस पुस्तक से भी यही लाभ सम्पन्न होगा यह पाशा की जाती है / पुस्तक के लेखक मुनि श्री का यह शुभ प्रयत्न निःसन्देह अभिनन्दन के योग्य है / .. दि० 2-10-83 .: नवसारी (गुजरात) ... मुनि जयसुन्दर विजय
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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