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________________ [ प्रकरण-२७] प्रनुचित खुशामद आचार्य हस्तीमलजी ने "जैनधर्म का मौलिक इतिहास" नामक पुस्तक लिखकर साम्प्रदायिक कटुता उभारने का प्रस्तुत्य प्रयत्न किया है / इन्हीं महाशय ने ही इसके पहिले “पट्टावली प्रबध संग्रह" नामक एक किताब जिसका डा० नरेन्द्र भाणावत ( जयपुर ) ने संपादन किया है, छपवाकर जिनमूर्ति पूजा विषयक “इस प्रकार सं० 882 में हिंसाधर्म प्रगट हुप्रा" तथा प्राचीन संयमी जैनाचार्यों पर 'वे शिथिलाचारी थे" आदि लिखकर अनर्गल आक्षेप किये हैं। "सत्य संदेश' किताब द्वारा जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ ऐसी साम्प्रदायिक कटुता उभारने वाली पुस्तक का व्यापक विरोध होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। इसके कारण ही आज भी प्राचार्य हस्तीमलजी द्वारा दूषित साहित्य निर्माण कर विषैला प्रचार चालू हो रहा है। एकता और शान्ति हमें पसन्द है, किन्तु स्थानकपंथ के कर्णधार प्राचार्य सत्य को तोड़-मरोड़ कर उसका कुप्रचार करें, वह असह्य है। स्थानकपंथी समाज के कर्णधार द्वारा ऐसी अनुचित और गलत प्रवृत्ति कब से प्रारम्भ हो चुकी है, जिसने बड़ा विवाद जगाया है, जिसका जैन समाज द्वारा व्यापक प्रतिहार होना अत्यन्त आवश्यक है।
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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