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________________ [ 60 ] ही है / हाँ ! "जिनप्रतिमा” विषयक चमत्कार से स्वमतहानि के कारण ही प्राचार्य ने प्रस्तुत में असत्य एवं अप्रमाणिकता का सहारा लिया है / अन्यथा स्वयं प्राचार्य ने ही श्री पार्श्वनाथ भगवान के चरित्र में जीर्णकुमारी, चन्द्रगुप्त-चाणक्य का कथानक, श्रीमानतुगसूरिजी का बेड़ी टूटना, सुभूम और ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की आश्चर्य एवं चमत्कारपूर्ण घटना का अपने इतिहास में समावेश किया है / इतना ही नहीं सगर चक्रवर्ती के 60 हजार पुत्रों की मौत पर पौराणिक किंवदन्ती स्वरूप गपोड़े को भी यही प्राचार्य महाशय ने प्रस्तुत किया है / अपि च नंदवंश की उत्पत्ति के अवसर पर प्राचार्य ने ही प्रतिज्ञा भंग करके चमत्कारिक घटना खंड 2, पृ० 268 पर प्रस्तुत की है, यथा Xxx उदायी का राजछत्र भी स्वतः ही नन्द के मस्तक पर तन गया और नन्द के दोनों ओर मन्त्राधिष्ठित वे दोनों चामर स्वतः ही अदृश्य शक्ति से प्रेरित हो व्यजित होने लगे।xxx एवं श्री मानतुगसूरिजी के विषय में खंड-२, पृ० 646 पर प्राचार्य लिखते हैं कि xxx कमरों के द्वार स्वतः ही खुल गये, आचार्य मानतुग के सभी बंधन कट गये। 80x मीमांसा–प्राचार्य हस्तीमलजी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त घटनाएं क्या चमत्कारिक नहीं हैं ? क्या इन पर प्राचार्य के माने हुए अाधुनिक चिंतक विश्वास करेंगे? क्या उपरोक्त बातों से उनकी चमत्कारिक घटना प्रस्तुत नहीं करने की प्रतिज्ञा का भंग नहीं होता है ? जब चमत्कारपूर्ण घटनाएँ प्राचार्य ने अपने इतिहास में लिखी ही हैं, तो पूज्य सिद्धसेनसूरिजी सम्बन्धित शिवलिंग फटने की घटना, श्री गौतमस्वामी का यात्रा हेतु अष्टापद गिरि पर जाना, श्री वनस्वामी का
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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