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________________ प्रस्तावना 5. खण्ड - दिल्ली लौटने पर अलाउद्दीन की बीबी का व्यंग्य करना / फिर राघव की सूचना और संकेत पर पद्मिनी प्राप्त करने के लिये चित्तौड़ पर आक्रमण का आदेश-(२२८-२४१)। 6. खण्ड - रतनसेन और अलाउद्दीन का युद्ध / अलाउद्दीन का गढ़ लेने में असफल रहने के कारण अपने मंत्री को भेजकर केवल किला और पद्मिनी को देखकर लौट जाने का छल-पूर्ण सन्धि-प्रस्ताव- (242-282) 1 7. खण्ड -- अलाउद्दीन का गढ़ में प्रवेश / भोजन के समय दासियों को देख कर उन्हें पद्मिनियाँ समझ कर बार-बार चौंकना और राघव का उसको सचेत करना। भोजनोपरान्त झरोखे की जाली से झांकती हुई पद्मिनी को देख कर उसका मूछित हो जाना और राघव का उसको समझाना / किला देख कर लौटते समय रतनसेन को बातों में लगा कर द्वार तक ले अाना और वहाँ अपने छिपे हुए साथियों द्वारा उसे बन्दी बना लेना-(२८३-३४७)। 8. खण्ड - रतनसेन-प्रभावती का पुत्र वीरभांण पद्मिनी को उसकी माता का सौभाग्य छीनने वाली समझता है और इस कारण वह उसको अलाउद्दीन को सौंपकर उसके बदले में राजा को लेने का प्रस्ताव स्वीकार करता है। यह सुन कर पद्मिनी के मन में रोष, चिन्ता और ग्लानि तथा वहां न जाने का दृढ़ निश्चय-(३४८-४२१)। 6. खण्ड - पद्मिनी का सहायता के लिये गोरा-बादल के पास जाना / बादल द्वारा रतनसेन को छुड़ाने की प्रतिज्ञा सुन कर उसकी माता का उसको रोकना-(४२२-४६७) / 10. खण्ड - अपनी बात न मानने पर बादल की माता का उसकी नव-विवाहित वधू को भेजना। अपने स्वामी के दृढ़ निश्चय तथा रणोल्लास को देखकर नव-वधू का उसको रणवेश से सज्जितकर प्रायुध देकर युद्ध के लिये विदा करना / बादल का वोरभाण को समझा कर अपने पक्ष में करना और अलाउद्दीन के पास जाकर उसको छलभरी बातों से पद्मिनी के आने का विश्वास दिला कर उसकी सेना को वहां से रवाना करवा देना / फिर गढ़ में आकर डोलों में दासियों के स्थान पर अपने संनिकों को और पद्मिनी के स्थान पर गोरा को छिपा कर ले जाना; रतनसेन को छुड़ाना और अलाउद्दीन तथा उसके चुने हुए साथियों को मार भगाना / युद्ध में गोरा की मृत्यु और उसकी स्त्री का सती होना-(४६७-६२०)।
SR No.032833
Book TitleGora Badal Padmini Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1997
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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