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________________ [संर कवि हेमरतन कृत आलिम ! आलिम ! करती रहा', 'मुझ सुं वात सहू ते कहइ // 512 // BC प्रतियोमें फारसी मिश्रित भाषा के ये 'बेत' हैं अजार दर्द बदिल मेर, खिज्र दूर यार। चि कुनम् सबुर कुनम् दिले एक औ दर्द हजार। तनरा रबाब साजिम् रगहा सितार तार / दीगर सरोज नेस्त व झूझुआर यार / / इसके आगे BCDE प्रतियों में-जोखि (मैं E) देखू वदन छवि, हुं (मैं इ) वैकुंठ न जाउ (चाहिब)। इंद्रपुरी किह काजिद (किहि कामकी DE), तुय सीह नही जिह ठाम (मीत नही जिस माहि B) / इसके आगे BOD प्रतियों मेंसोरठा- मई (मैं D) मन दीन्हउ (दीन्हो०, दीनो D) तोहि, जा दिन ते दरसन भया / अब दोइ जिय नहि मोहि, प्रेम लाज तुम्हरी बहू (बही D) // B557 / 0568 / / 607 // मई मन दीन्हउ तोहि, सका तउ निरवाहियो। ना तरि कहियउ (-यौ D) मोहि, मई ( D), मन बरजर्ड (-ज D) आपणउ (णौ D) B558 / 0564 / D608 / इसके आगे BODE में निस वासर आठों पहुर, छिन नहि विसरत (बिसरै :) मोहि / जिह जिह (जहाँ ) नयन (नैन B) पसारिहुँ, तिह तिह (तहाँ इ) देखु तोहि // 1687 // इसके आगे BCD में धनि धनि आलमसाह तूं, काम तणउ (तणो 0, तणौ D) अवतार / मन मोयो पदमिणि तणउ, अब करि हमरी सार / / B 560 / 0571 / / 610 // इसके आगे प्रतिमें मन हुंतो सो तुम्ह लियो, सुक्ख गयो तजि गाम / ___ अब तो हम पै नाहि कछु, छोडि तुहारौ नाम / / 611 // . DB प्रतियोंमें साहि तुम्हारे (तुहारे D) दरकुं, अधर रमो जिय आइ / कहो क्या आग्या देत हो, फिरि तन रहे कि जाइ // D612 / 3 688 // - Dप्रतिमें प्रीतम प्रीत न कीजियो, काहुं मुंचितलाय / अलप मिलण बहु बीछरण, सोचत ही जिय जाय // 113 // . प्रीतम कुं पतियों लिखं, जो कछु अंतर होय / हम तुम्ह जिवडा एक है, देखणकुं तंन दोय // 614 // प्रतिमें प्रीत करी सुख लहनको, सो सुख गयो हराइ / जैसे खदार छबुंदरी, पकरि सांप पछिताइ // 689 // प्रतियोंमें वाती ताती विरह की, साहिब जरत सरीर / छाती जाती छार हुइ, जो न बहत द्रग नीर / / D1153690 // D प्रतिमें मुझ प्राणी तुझ पासि, तुझ प्राणी जाणुं नहीं। जो कोई विरहो नासि, पंजरको विरहो नहीं // 616 // जिम मन पसरै चिहुं दिसा, तिम जो कर पसरति / दूर थकी ही सानना, कंठा ग्रहण करति॥१७॥ प्रतिमें कहै पदमिन सुनि साह, वाह तुम्ह रूप बड़ाई। अहो काम अवतार! अहो तेरी ठकुराई। मुझ कारण हाठि चडे, लडे अहि खग्गउ नंगे। पकडयो रांण रतन, वचन विसवास रलंगे।
SR No.032833
Book TitleGora Badal Padmini Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1997
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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