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________________ (4) जगत् कर्ता कौन? ईश्वर नहीं ! ईश्वर जगत् को बनाते नहीं, किन्तु बताते है / विश्व का सृजनसंचालन कोई ईश्वर नहीं करता / इसका सृजन व संचालन तो जीव और सहारा कर्म का / यदि ऐसा न मानकर हम ईश्वर को जगत्-कर्ता माने तो अनेक प्रश्न उपस्थित होते हैं / जैसे कि (1) ईश्वर को क्या प्रयोजन है जिसके निमित्त वह इस समस्त दुविधा में ग्रस्त हो? (2) वह अमुक प्रकार का ही निर्माण क्यों करता है? (3) इश्वर को दयालु माना गया है / यदि इश्वर को जगत्कर्ता माना जाए तो क्या वह दयालु इश्वर जीव को दुःख देनेवाले प्रदार्थों की रचना कर सकता है? ___ (4) ईश्वर यह समस्त रचना किस शरीर से करता है? वह शरीर कैसे बना? किससे बना? इत्यादि / इन प्रश्नों के उत्तर पर विचार करने से ईश्वर के विषय में एक विचित्र-सा चित्र प्रस्तुत होता है / जैसे कि (1) यदि ईश्वर किसी प्रयोजन के बिना ही सृष्टि और संहार 5 390
SR No.032824
Book TitleJain Dharm Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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