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________________ इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रातः दिनभर के लिए और शाम ____को रात भर के लिए 14 नियम किए जाते हैं / मात्र बारह घंटे के इन नियमों में कोई कठीनाई नहीं है / 14 नियम तप करने का अभ्यास हो जाने के पश्चात् 14 नियम तप करने का कार्य एकदो मिनिट का, या एक पल का कार्य होता है और ढेर पापों से छुटकारा मिल जाता है / अर्थात् हम पल में पाप के उस पार पहुंच जाते हैं / जिन का उपयोग संभव नहीं ऐसे पदार्थों की आशा छोड देने का अति महान लाभ 14 नियमो से मिलता है / नियम लेने से सत्त्व विकसित होता है / 14 नियम की गाथा :"सचित-दव्व-विगइ, वाणह-तंबोल-वत्थ-कुसुमेसु / वाहण-सयण-विलेपण,बंभ-दिसी-न्हाण-भत्तेसु / / " 1. सचित्त (सजीव):- 'सजीव कच्चा पानी, कच्चा शाक, नमक, दातुन, हरे फल आदि में से आज के दिन अमुक संख्या से; जैसे कि तीन से अधिक का उपयोग नहीं करूं' - ऐसा नियम / उबला हुआ पानी, दो घड़ी पश्चात् शरबत, त्रिफला का पानी, रांधा पका हुआ शाक, पका भुना हुआ नमक, तथा कटे हुए फल, अथवा फल से निकला हुआ रस, दो घड़ी बाद अचित्त होते है, सचित्त नहीं / SAR 21480
SR No.032824
Book TitleJain Dharm Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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