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________________ कर्ता प.पू.गुरुदेव आचार्यश्री भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराजा ई.स.-1911 में 'कान्ति' के नाम से जन्म धारण कर, इस भारत की धरा पर आपने ज्ञान और वैराग्य की नयी क्रान्ति लाइ / आपने अपनी तीक्ष्ण प्रज्ञासे लंडन की C.A. समकक्ष G.D.A. की उच्चतम डीग्री को हस्तगत की / केवल 22 सालकी यौवन वय में पूज्य गुरुदेव श्री प्रेमसूरीश्वरजी महाराज के चरणो में लघुबंधु के साथ अपना जीवन समर्पण करके चारित्र अंगीकार किया / ज्ञान के साथ साथ 'वर्धमान तप' की 108 ओलीयाँ करके आप वर्धमान तप - आराधक' बने। 250 से भी अधिक शिष्यो के योग-क्षेमकारक आप श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में वरिष्ठ आचार्य थे। आचार्यश्री जयघोषसूरीश्वरजी को अपना उत्तरदायित्व प्रदान करके वर्तमान में विद्यमान सर्वाधिक 500 साधु के शिष्य परिवार द्वारा आपने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया हैं।
SR No.032824
Book TitleJain Dharm Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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