________________ उत्सर्पणार्थिकर होस्थे भरपणे प्रभु रहे। (27) नारकी सातमी / आगला पांच पी गया ए / सातमो पंचम नयर / चोथी आठमो, नवमो तीजी नारीयें ए // 11 // अचल विजयने नज। सुप्रनु सुदर्शन / आनंद नंदन सुनमती ए / रामचंद्र बलन / बलदेव ए नव / आवश्रया तिहां सिवगती ए // 1 // बलला ब्रह्मदेवलोक / काल उत्सर्पणी / जास्य सिव कृष्ण सासणे ए। अथवा निपुलाक नाम / तीर्थकर होस्ये / चवदमो इम बहु श्रुत नणे ए॥१३॥ (ढाल 4) कुमरपणे प्रभु रहतां काल सुखे गमें ए, ए चाल // * // अश्वग्रीवनें तारक मेरुक बली मधु तिसा ए। निशुंन वलय प्रल्हाद रावण जरासिंधु जिसा ए / ए नव प्रति वासुदेव नरक गति गामिया ए। ते पिण नावि जिणेस केई प्रणमुं मुदा ए // 14 // (ढाल 5) सफल संसारनी॥ * // सांतिने कुंथु अर एह नव एकही / चक्रधर तीर्थकर दोय पदवी सही / बीर वासुदेव अरिहंतलव जूजुआ / देह तिण साठ पिण जीव गुणसठ थया // 15 // वासुदेव बलीय बलदेव केरा पिता / एकहीज थाय नव एण लेखे उता। तीन चक्रधरतणा मिलिय बारे टट्या / एम त्रेस ना तात इकवनमिल्या // 16 // तीनचक्रधरतणी टालदीजे जिसे / माय सहुनी थई साठ लेखे इसे / एह नररयणनो ध्यान नित जे धरे / तेह सुर पद लही मोद पदवी वरे // 17 // (कलश)श्म शुण्या तीर्थकर चक्कीसर वासुदेव बलदेव ए। प्रतिवासुदेव सुसेव जेहनी करे सुर नर सेव ए। त्रेस