SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 404
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परमनाएं // // 2 // 2 नमनधारी शुभ ( 376) __ अथ इग्यारसनी थुई लिक। एकादसीआखीआदिदेवें, आराधिने नवि सिवशर्मलेवे // धरोध्यान श्रीजिनराजकेरो। टले अनादिकालनो कर्महेरो // 1 // मसिजन्मदीदाकेवलपहाणं / अरनाथ चारित्र नमि परमनाणं // दशखेत्रना कल्याणक एम जाणो। दोमसोने वलि त्रणसो पिगणो // 2 // इग्यारेवरसतिममासकीजै / आराधि अंगग्यारह सुजस लीजै // मौनमनधारी शुलधर्मकारी / श्रुतझाननी नक्ति करिये विचारी // 3 // अठपोहरिपोषहकरि यथाशक्तें / तपजप करीनऊमणोसुलक्कै // इकचित्तध्यावै सुयदेवीपसायै / श्रीजिनकृपाचं सूरि सदासुखथायै॥४॥ ॥इति ग्यारस शुश् संपूर्णा // // अथ नवपद्जीनी थुइ लि०॥ श्रीसिप्पचक्रसुहंकरजाणो ध्यानएलविजन मनमा आयो आतमतत्व पिगणो, निरुपम सिवसुखकारणजाणो आतमने निजघरमांआणो अविचलसंपदा खाणो॥ श्रीपालराजा नवपद साधे सुरसुखपामी सेवि समाधे अरिहंतपद आराधे, मननोहन जिनगुणअगाधे दायक सायकसिधिअवाधे जगजशकीरतिलाधे // 1 // बारे गुणकरि अरिहंतराजे सिख आठ गुण गणिवर गजै गुणउत्तीशविराजै / पचीशगुण उवज्शायाराजै सत्तावीसमुनिमहाराजे सेवीगुणसुसमाजै // दर्शन ज्ञान चरण तप कहिये सिमसार इकावन सितर लहिये नेद पचाशक्रम कहियै, तेरसहशवलि गुणनो करियैचनवीसजिनपतिध्यानजधरियै श्मनवसागर तरियै // 2 // आसुमासनी सात
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy