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________________ (377) // आज आपैं चालो सहिया सिद्धाचलगिरिजइये // ॥ए देशी // // पर्व पजुषण आव्या सजनी, चालो आपण जश्ये, देवगुरूना दरसण करीने, मनवांछितफललश्येरे पर्व // 1 // अगहि में अमरपमावी, जीव जयणा वर्तावी, सर्वजीव सुखकारी जगमे, जैनधर्म मन लावीरे प० // 2 // कल्पसूत्र वरघोमो करीने, सुणो वखाण चितलायी, पमिवारे दिन मंगलकारी, वीरजन्म सुखदायी रे, प० // 3 // सिघारथ राजा घर सुखकर, दिगकुमारी मिलाइ, सूतिकर्मकरी प्रनु माताने, स्नानकरावे वरदारे प० // 4 // चोसम्इं सुमेरुसिखरपर, स्नात्रकरे रंगलाइ, बत्रीसक्रोम सोनश्या वरसाके, प्रनुजीने निजघरलारे प० // 5 // वालपणे आमलकीक्रीमा करि, महावीर नाम पायो, लेखकशाळा जश्ने याव्या, जय जयकार वरतायोरे प० // 6 // मिगसरवदि दशमी दिन दीदा, लीनी मनमां उमंगे, परिषद रिउबलदूरनिवारी, केवल लह्यो सुखसंगेरे प० // 7 // चनविहसंघने थापीजगतगुरु, विचस्या देशविदेश, कातिवदि अमावस राते, सिवपदपाम्यो जिनेशरे प० // // पटकट्याणक वीर प्रचना, लबाडु स्वामी नाखै, श्रीजिनकृपाचंदसूरिसेवो, कल्पसूत्रनी साखेरे प० // ए॥ इति एकमनी साशायसं० // ॥श्री जिनवाणिरे धन्ना ए देशी॥ // पास सोलागीहो जिनजी, तुमथी रढलागी मोराजिनजी, दशनवकैरोरे संबंध सोहामणो // 1 // वणारसी नगरी हो जि
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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