________________ (३६ए) मोहचरणदायककरी / पूरणसमतासमायोरे // आ॥६॥धन घातित्रिकयोधालमीया / ध्यानएकत्वनेधायो / ज्ञानावरणादिकनटपमिया / जीतनिशाणघूरायोरे // आ॥ 7 // केवलज्ञानदर्शनगुणप्रगव्यो / महाराजपद पायो / शेषअघातिकर्म क्षीण दल, उदयअबाधदिखायोरे // आ // // सयोगीकेवलीश्रयाप्रनंजना, लोकालोक जणायो / तीनकालनी त्रिविधवरतना / एकसमय जलखायो रे // आ // ए॥ सर्वसाधवीयें बंदनाकीधी। गुणी विनय उपजायो। देव देवीतवस्तवेगुणस्तुति। जगजयपमह वजायोरे // आ॥१०॥ सहसकन्यकानें दीक्षादीधी / आस्रवसर्वतजायो / जगलपकारी देशविहारी / शुम धर्म दीपायोरे // आ॥ 11 // कारणयोगे कारजसाधे / तेह चतुरगाजे / आतमसाधननिरमलसाधे / परमानंदपाश्जेरे // आ० // 12 // एहअधिकारकह्योगुणरागे। वैरागे मन जावी / वसुदेवहिंमतणेअनुसारे, मुनिगुणनावनानावीरे ॥श्रा॥१३॥ मुनिगुणश्रुणतां नावविशुभे, नावविच्छेद न श्रावे। पूर्णानंदइहां. श्रीनलसे / साधनशक्तिजमावेरे // आ० // 14 // मुनिगुणगावो नावनानावो / ध्यावो सहजसमाधि / रत्नत्रयीएकत्वेखेलो। मेटीउपाधिअनादिरे // आ० // 15 // राजसारपाठक उपगारी / ज्ञानधर्मदातारी / दीपचंड पाठक खरतरवर, देवचंडसुखकारीरे // आ० // 16 // नयरलीबमीमाहेरहीने / वाचंयमस्तुतिगा। आतम रसीकश्रोताजनमनने, साधनरुचि उपजारे // आम् // 17 // श्मउत्तमगुणमालागावो / पावोह बृ० स्त०२४