SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (225) संजमश्री चुक्यो तेणे, त्रिदंमीवेसे एणे, समवसरण बाहिर खेणे, सां० // // नरत पूरे प्रन्नुनेवारु, केटला थासे जगतारु, अवसरपिणिमां सुखाकारु सांग // 23 // तीर्थकर चोबीसहोवे, बारचक्री पमुहाजोवे, नविजननां संशयखोवे, // 2 // समवसरण जिनजीव कोई, प्रनुजी कहै मरीचि होई, जरत श्राव्यो वंदनसोई, सां० // 25 // मरीचिने वन्दना करीने, वासुदेव चक्री सरीने, तीर्थकर थासे नवतरीने, सां० // 26 // तीनकाल जिनवरगमिये, सरीखाथी तुजने नमिये, नरत कही निजघरगमिये, सां० // 27 // चक्रीपिता माहरो आजै, पितामह जिनपति गजै, वासुदेवअधिको राजै, सां० // // माहरोकुल अधिकोसोहे, गोत्रमद कर्यों मनमोहे, नीचगोत्र बांध्यो होहे, सां० // ए॥ पंचमदेवलोके जावै, चोथो नव ए कहवावै, जिनकृपाचन्दसूरिगावै, सा०३०॥ // ढाल त्रीजी // स्वामी शरीर सोसाई गयो ए देशी // __ पांचमेजवब्राह्मणकुले, तापसथईने स्वाम, देवजव पामी करी, ब्राह्मणनवथयो आम, // 31 // कर्मतणीगतिजाणीये, कीधाकर्म प्रमाण, ब्राह्मण व देवना, सोलेसर्व ए जाण // 3 // बहुसंसार भ्रमणको, राजगृहनगरमकार, चित्रनंदी राजा तिहां, प्रियंगुराणी मनुहार, क० // 33 // विशाखजूति युव. राजने, धारणी कूखे सूजाण, विश्वजूतिनामऊपना, सतरमेंनवमन आण, क० // 34 // राजकुमरने कारणे, दीक्षामें चित्तसाय, नियाण करिने अढारमें, देवनवमां जाय, क० // 35 // तिहांथी चवि पोतनपुरे, प्रजापतिराजन, मृगावतीकूखे उपनो, बृ० स्त० 15 .
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy