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________________ जिन प्रतिमा बोली जिन सारखी / हितसुख मोहनीदानो जी / जवियण ने नवसायर तारवा। प्रवहण जेम प्रधानो जी // 3 // जीवानिगम प्रमुख मांहि नाखीयो। एस हु अरथ विचारोजी / सांजलतां लणता सुखसंपदा / हियमे हरष अपारो जी॥४॥ वि० (कलश) // श्म सासता प्रासाद प्रतिमा संथुण्या जिनवरतणा। चिहुँ नाम जिण चंद तणा त्रिनुवन सकलचंद सुहावणा। वाचनाचारज समयसुंदर गुणलणे अनिरामए / त्रिहुंकाल त्रिकरण शुद्ध होयज्यो सदा मुझ परणांमए // 5 // // इति श्री सास्वताजिनचैत्यबिंबसंख्या स्तवनं // // अथ साखता असाखता जिनबिंब नमस्कार स्तवनम् // // * // (देशी सुरती)॥ प्रहऊठी प्रनु ध्यानधरूं नमुं सिपअनंत / त्रिनुवन माहै नमणकरूं जे बिंब रहंत / नुवनपति व्यंतर जोतषि वैमानिकमांह / अनुत सास्वता बिंब नमुं मनधरि उन्नाह // 1 // पंचमेरू वैतान्य हिमाचल निषध प्रमाण ।नीलवंत चित्रसेल कुंमल गजदंत वखांण / रुचक नंदीसर मानुषोत्तर आदि सास्वता जाण / रिषनानन चंजानन वारिषेण वर्धमान // 2 // आठकोम अरूबप्पण लाख सत्ताj हजार / चउसै उयासी चैत्यसा स्वता मंगलकार / सहस अगवीस नवसै पचवीसकोम मिखाय / तेपन लख चनसै अठ्याशी जग जिनराय // 3 // के आचार्य मते आठकोम सतावन लाख / दोयसै अj
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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