________________ (185) बत्तीस, जूमंगल विचरे प्रनुश्रीसंजवजगदीस // 3 // तीनलाखवलिसहसत्रया|श्रावकलोक, षलखसहसउत्तीस श्रावकणीसंख्याथोक, त्रिमुखयअरु सुरितादेवीसानिधकार, वि चरंतां प्रन्नुसकलसंघमें जयजयकार // 4 // सहसश्रमणपरिवारे प्रनुजीशिखरसमेत, एकमास संलेखणकीनीनिजपदहेत, इणगिरिऊपरपायो प्रन्नुजीपदनिरबाण, तीरथमहिमामहियलमोटी अश्यसुजाण // 5 // ॥दोहा॥ अभिनंदनजिनवंदिये, पायोपदनिरवाण, शिखरसमेतसुहा. मणो, जेटोतीर्थसुजाण // 1 // // ढाल 3 // सहसश्रमणसुं शुकसंजमधरो ए चाल // _ नगरीअजोध्या सुरपुरीसमनली, संबरराजासोहै मनरली, सिद्धार्था राणीतसुनंदए,अभिनंदनजिनप्रगट्याचंदए, नहालो, चंदएसोवनवरणसोहै धनुषसाढीतीनसै, सुंदरशरीरप्रमाण द्युतिकरकपिलंछनतेनितवसे, पूर्वलाखपचासआयुगणधरश्कसो सोलए, तीनलाखमुनिबलाख आर्यासहसत्रिंशत्सोलए // 1 // चाल // सहसवठ्यासी दोलख श्राधनी, संख्या चौलखसत्तावीसनी, श्रावकण्यारी संख्या जाणए, नायकयक्षकालि. कागणए न गणएशिखरसमेत ऊपरमासएक संलेखणा, इकसहससाधूपरवस्याप्रन्नु मुक्तिपहुचेपेखणा,श्मही अयोध्यामेघनरवरदेवी मातसुमंगला, श्रीसुमतिजिनवरजएनंदन सदाहोतसुमंगला, // // चाल // सोवनवर्ण धनुषतनुतीनसें,