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________________ (11) ॥रागठुमरी॥ // मेरे रेमनमानीज्ञानजरी मे० // परनपगारीसुगुरुवताइ,, पांचुनेदेंकरी, मतिश्रुतअवधिवरमनपर्यव, केवलबोधवरी मे ॥१॥तपकरिअग्नि मूसदंसनकी, कर्मेधनलकरी, सक्रियसंजमकरतांसुमिल, सिद्धिरसानधरी मे ॥२॥पूरणपुन्य मिलीमो. हिसजनी, सकलानंददरी, बालकहै अबविसरत नाही, पलनि नएकघरी मे // 3 // इतिपदम् थां परवारी हो जिनजी,श्रीधुलेवागढपत्ति,रिषजसोहावणाहोराज, एआकमी देशमेवाम्मे सोलताहोराज, प्यां० श्रादिकरण आदिनाथ, नेव्याजलेनावसुंहोराज, न ॥१॥थां० श्री० परचा जगमे परगमा हो राज, थांगावसंघअपार, सरस दरसलहे होराज, सम्॥॥थां० श्री स्यामवरणशुजसुंदरुहोराज, थापअद्भूतप्रनुदीदार, देख्यांवांछितफले होराज दे॥३॥ थां० श्री आसहतीघणादिवसनीहोराज थां० तेसफलीथइआज, पूरवसंचितफल्याहो राज, पू०॥॥थां० श्री नवनवचरणारी चाकरीहोराज, थां मुजनेहितसुखकंद, सदाप्रनुदी, जीयेहोराज, स॥॥थां श्री मालवदेशथी यावीयाहोराज, थां० विषमनबंधीवाट, आजदरसणलह्योहोराज, श्रा० // 6 // थां श्री जगणी सेसीसमेहोराज, श्रां फागुणशुदिहितकार, सदासंपत्तिकरुहोराज, स०॥७॥ श्रां श्री अव्यावाधसुहकरुहोराज, थांग अनुनवअमृतपान, सदामुऊदीजीयेहोराज, स थां० श्री० // // साहिबनीसुनिजरबतांहोराज, थां० सहज्ञफलेसहुकाज, कृतारथकीजीयेहोराज, कृ० ॥ए॥ थां० श्री०
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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