SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (126) श्लाजनहिंचलता / तरणेवालासाहिबननकू / लणेवाला क्याकरता / जीतेश्रीजिनराजहारके कम हाथदोजोमखमा // धरणीधरसाहिबकेआगे / अरजी करताखमाखमा // 11 // केवलपाय शिवपदकूपहुंचे / पार्श्वनाथ शुभ मतवाला / लगी ज्योतमेंज्योतिदीपकी तपे तेजकाअजुवाला // वीसनगरमें पार्श्वनाथका / देवलबनाया तेंताला // वझे देवलमें इंदरसोहे। घंटावाजताचोताला // 12 // वमीजुगतसे सिंहासणकर / कोट बनायादेवलका // जगों जगोंपर शिखरचढाया / दरवाजाशुल केवलका / नामंगलकेआगेशोनता / मूलगुनाराारसका // पीछे पच्चीसदेरियांसोजित / सिरेकामसिंघासणका // 13 // मूल नायकके ऊपरसोहै / सहसफणा प्रनुपारसका / चौमुखकी चतुराश्वणी है / बहूकामहै सारसका / अढारसेंपैंसठ सवाई। सुदुर्त फागण मासजला / सुदीतीजकू तखतेबेठे / जगोजगोपर नामचला // 14 // देश देशके संघ बहु मिलकर / तेरेदर्शनकुंआया / जगतगुरु जिनराजजगतमें / वमी तेरी अक्कलमाया // धर्मचंदजोमतासवाईने / वमासाहमीवात्सद्यकिया। सकलसंघकीआझालेकर / वमाशिखर निशानदीया // 15 // करमचंद ने देवचंद ने खेमचंद ने खुबकिया // पारसनाथकू तखतबैगकर / जगोजगो पर नाम किया // कीर्तिविजयगुरुराजकूप्रणमूं / पायगुरुका राजवमा // गुलाबचंद साहेब केआगे // जिनसासनका कामवमा // 16 // तेजागाता चंगरंगमें / ज्ञानध्यानसेंखमाखमा हाथजोमके अरजीकरता / पारसनाथजीतूंहीबमा / वमा काम तेरे है साहिब / मुखसेंनहिं कहणे.
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy