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________________ (124) रन / तीनलोक कलिमलहरन / धुनि वरसत जलधरन / नरएपौषपावन करन // जुगलधर्मनीतिहरन / सब करमउँघघनजरन / मोहमय अरिदरन / सुकनुवरन शुधचरन / इंजचंड पद जुगलसेवन / जगतविरुद तारनतरन / दीपविजयकविराजबाहामुर / झषजनाथअसरनशरन ॥६३॥रिषजनाथ महाराज सवे मुखदालिषनंजन / रिषजनाथमहाराज / सबे जूपमनरंजन। रिपननाथपृथ्वीनाथ।मंगलनामगवाये॥दीप विजयकविराजबाहकुर // खलकमुलकहाजरहे // कलिजुगजयो देवतुं / सुरनरसब कीरतकहै ॥६॥इति श्री केसरयाजीकी लावणी संपूर्ण // // अथ वीसनगर कल्याण पार्श्वनाथजीकी लावणी लिख्यते // अगम अगमडु वाजे चोंघमा / सवाझकासाहेबका // बननं उननं अवाजहोता / महेलबनायागगनोका // कट्याण पार्श्वनाथनामका / नितनितवाजेचोधमा // तीनलोकमें सच्चा. साहिब / पार्श्वनाथश्रवतारवमा // 1 // वणारसीनगरी में तेराजनमहे / मातावामाकनंदा // अश्वसेनकेकुलमें शोले / जेसा सरदपूनमचंदा // स्वर्गलोकमेंदुवाश्रानंदा / इंशाणीमंगलगावे / तेत्रीसकोमदेवतामिलकर / श्रोउव करणेकुं श्रावे // 2 // कोइ आवता कोश्गावता / कोश्नाम लेतादेवा // चोसइंड अरजकरता। चंपसूरजकरता सेवा / केश्सुरनर साहेबके आगे। अरजकरंता खमाखमा // जिनकेसरूपको पारनपावे / जिनका. गुणहे सबसेंबमा // 3 // दूरदेससें आयाजोगी। वझेजोरतप. स्याकरता / नीचेखगाता ज्वालाजोगी / वमेव कोकेखाता।
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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