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________________ (7) मीजेतेम, सुखपामीजे कारजसीजे तपकरतां सुखकार, पुत्र मित्रपरिवार परंपर अतिवबजनरताराजसकीरतसोनागवमाई महियल महिमाजांण / परनव मुगतिफल लहीये एतपनेंप्रमाण // 12 // थिरथापी चतुर्विधसंघतणो अधिकार / जरुवचप्रमुखनगरादिककरियविहार / विहारकरी प्रतिबोधे खंदक पंचसयांपरिवार / कार्तिकसेठ जितशत्रुतुरंगम सुव्रतनामकुमार / तीशसहसवरसाऊखो पाले जगदयासार / श्रीसम्मेतसिखरपरमेसर पोहतामुगति मकार // 13 // इमपंच कल्याणक थुणियात्रिनुवनताय / मुनिसुव्रतस्वामीवीशमो जिनवरराय / वीशमोजिनवर राय जगगुरु नयनंजणनगवंत / निराकार निरंजननिरुपमश्रजरामरअरिहंत / श्रीजिनचंदविनेयशिरोमणि सकलचंद गणिसीस / वाचक समयसुंदर इमपनणे पूरो मनहजगीस // 14 // इति श्रीपक्खवासातप वृध्वस्तवनं संपूर्णम् // // अथ वारेमासीतपस्तवनं लिख्यते // दाननबटधरीदीजीयै / ( एदेशी) त्रिन्नुवननायक तुं धणी, आदिजिणेसरदेवरे / चौसठकरेसदा / तुळपदपंकजसेवरे (त्रिन्नु०)॥१॥ प्रथमन्नूपालप्रनु तुं थयो / इणअवसरपणीकालरे / तुजसमअवरनको प्रनु / तुं प्रनु दीनदयालरे(त्रि.) // 2 // प्रथमतीर्थकर तुं सही / केवलग्यानदिनंदरे / धर्मप्रज्ञापकप्रथमतुं / तूंही है प्रथमजिनंदरे। (त्रि०) अंतरअरि जे आतमतणा / कालअनादिथिति जेहरे / ते तपशक्तिये तैहण्या / आत्मबीरजगुणगेहरे (त्रि०) // 4 // ताहरीशक्ति कुणकह शकै। जेहनो अंतनपाररे। घादश
SR No.032823
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagubhai Panachand Jhaveri
PublisherBhagubhai Panachand Jhaveri
Publication Year1928
Total Pages418
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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