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________________ -:कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कर्तरि कृदन्त वर्तमान कर्मणि कृदन्त कर्तरि मूत कृदन्त कर्मणि भूत विध्यर्थ परोक्षा कर्म परोक्षा कर्त भविष्यत् कर्त भविष्यत् कर्म कृदन्त पढ सुंघेलो चेमिवस् गुह उभ गुहितुम्/ गूढ्वा/ | गृहत् गुह्यमान गूढवत् गोह्य, गृहितव्य जुगुहान जुगुहान | गृहिष्यत् गृहिष्यमाण गोदुम | गहित्वा / गुह्यं गूढव्यम् जुगुह्वस् संताडवं संताडवा माटे संताडीने| संताडतो | संताडातो संताडायेलो संताडेलो संताडवा योग्य संताडेलो संताडायेलो संताडशे संताडाशे घा (जिघ्र) पर घातुम्घात्वा | जिघ्रत् घ्रायमाण घ्राण/घ्रात घ्राणवत प्रेय, नातव्य जध्रिवस् जघ्राण | घ्राष्यत घायिष्यमाण सुंघर्बु | सुंघवा माटे | सुंघीने | सुंघतो सुंघतो सुंघायेलो | सुंघेलो सुंधवा योग्य सुंघायेलो सुंघशे सुंघाशे चम्प र चमितुम्च मित्वा | चमत चम्यमान चान्त चान्तवत् चम्य, चमितव्य चेमानचमिष्यत् चमिष्यमाण चाटवू | चाटवा माटे चाटीने चाटतो चटातो |चटायेलो चाटेलो चाटवा योग्य चाटेलो चटायेलो चाटशे चटाशे दंश्पर दंष्टुम्द ष्ट्वा दशत दश्यमान दष्टवत् दंश्य, दष्टव्य देशिवस् देशान दक्ष्यत् दक्ष्यमाण करडवू | करडवा माटे करडीने | करडतो | करडातो करडायेलो करडेलो करडवा योग्य करडेलो करडायेलो करडशे करडाशे धूप पर धूपायितुम् धूपित्वा | धूपायत् / धूप्यमान धूपित/ धूपितवत धूपाप्य, धूपायितव्य दुधूप्तस् दुधूपानधूपायिष्यत् धूपिष्यमाण धूपितुम् धूपायित्वा धूपत् धूपाय्यगान धूपायित धूपायितवत् धूम्य, धूपितव्य धूगायाम्बभूवस धूपायाम्बभूवाना धूपिष्यत् धूपायिष्यमाण संवापसंतापवा माटे संतापीने | संतापतो | संतापातो संतापायेलो संतापेलो / संतापवा योग्य सतावेलो | संतापायेलो संतापशे संतापाशे ध्मा पर मातुम् मात्वा | धमत् / मायगान गात मातवत् गेय, ध्यातव्य / दधिगतए दधानास्यतभाशिष्यमाण
SR No.032789
Book TitlePadma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2008
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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