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________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-६० मिलान राणकपुर की कारीगरी से तो कीजियेगा। सामने पहाड़ी पर जो खण्डहर दिखाई देते हैं वे राजमहलों के हैं। टीलों पर पत्थरों एवं मलबे के ढेर पुरानी नगरी की याद दिला रहे हैं। पहाड़ की एक टेकरी से दूसरी तक दिखाई देने वाली यह पंक्ति नगरी का कोट है जो मुक्त श्वर गया हआ है। मन्दिर के पास ये जो खण्डहर दिखाई देते हैं वे पंचतीर्थी महादेव के मन्दिर के हैं। पंचतीर्थी का अर्थ है महादेव के पांच मन्दिरों का एक साथ होना। मन्दिर बिल्कुल टूट गया है एवं केवल दो देवकुलिकाओं में भगवान महादेव की प्रतिष्ठा है। गम्भारे को चोखट पर एक लेख तो अवश्य खुदा हुआ है पर वह पढ़ने में नहीं आता है / तो महावीरजी के इस मन्दिर के जीर्णोद्धार में लगभग 5,00,000 (पाँच लाख) रुपए खर्च हुए। अभी निर्माण कार्य शुरू होने वाला है। मन्दिर की सुन्दरता के लिए अब पेड़ लगाये जा रहे हैं। उदयपुर की यह सड़क बन जाने के बाद यहाँ यात्रियों का आवागमन बढ़ जायेगा एवं मन्दिर को ख्याति दूर-दूर तक फैल जाएगी। हाँ, एक महत्त्वपूर्ण सूचना तो रह ही गई। प्रति वर्ष चैत्र सुदी 10 को यहाँ एक विशाल मेला भरता है। पहाड़ों में रहने वाले आदिवासी, भील, गरासिये बहुत संख्या में यहाँ आते हैं। वे प्रभु के दरबार में नाचते-गाते हैं और प्रभु की बहुत मान्यता एवं भावना रखते हैं। उनके नाच, गरबे एवं गीत बड़े अच्छे होते हैं / इस अवसर पर बड़ी दूर-दूर से यात्री आते हैं एवं भगवान के दर्शनों के लाभ के साथ इस मनोरञ्जन का भी आनन्द लेते हैं / तो, इस वर्ष आप भी जरूर पधारें। A
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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