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________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-३६ आत्मानन्द जैन गुरुकुल, गुजरांवाला तथा अम्बाला, लुधियाना, मालेरकोटला, झगड़िया, सादड़ी एवं श्री पार्श्वनाथ सैकण्डी स्कूल, वरकाणा आदि की स्थापना इन्हीं के सदुपदेश से हुई / भारत की भावात्मक एवं साम्प्रदायिक एकता के लिए आप सदैव प्रयत्नशील रहे। हिन्दू विश्वविद्यालय, काशी की स्थापना में भी आपने योगदान किया। आपने अपने जीवनकाल में कई मन्दिरों तथा तीर्थों के जीर्णोद्धार करवाये / विक्रमी सं. 2006 में श्री राता महावीर के मन्दिर का जीर्णोद्धार प्रापही के सदुपदेश से सम्पन्न हुआ एवं प्रतिष्ठा हुई। आपका स्वर्गवास ई. सन् 1954 में बम्बई में हुआ। आपकी अन्तिम यात्रा में दो लाख से अधिक शोकातुर लोग थे। कार्तिक सुदी 2 विक्रमी सं. 2027 को आपकी शताब्दी बड़ी धूमधाम से बम्बई में मनाई गई एवं बम्बई के मध्य पायधुनी को आपके नाम पर 'विजयवल्लभ चौक' नाम दिया गया। आपका समाधि-मन्दिर बम्बई में भायखला में स्थित है। अपने जीवनकाल में गुरुवर कई बार हस्तिकुण्डी पधारे थे। आपके नाम से हस्तिकुण्डी में गुरु-मन्दिर बनाया गया है। फालना में भी वल्लभ कीति-स्तम्भ एवं वल्लभ विहार पुस्तकालय आपके नाम पर बने हुए हैं।
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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