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________________ प्राक्कथन राजस्थान की प्राचीन नगरियों के इतिहास-लेखन में सर्वाधिक अन्याय राठौड़ों की ध्वस्त नगरी हस्तिकुण्डी (हत्थूडी) के साथ हुआ है। परमारों की प्राचीन नगरी चन्द्रावती के बहुत लम्बे-चौड़े वर्णन हुए हैं पर राष्ट्रकूटों की इस नगरी के वैभव की गाथा कहने वाले शिलालेखों एवं प्रशस्तियों के होते हुए भी इसका नामोल्लेख मात्र ही हुआ है। प्राचीन काल के इतिहास-लेखन में मन्दसौर, प्रयाग एवं सौंधनी आदि प्रशस्तियों को पर्याप्त महत्त्व मिला पर सूर्याचार्य द्वारा लिखित एवं योगेश्वर नामक सोमपुरा द्वारा उत्कीणित हस्तिकुण्डी की प्रशस्ति को इतिहासकारों ने नजरअन्दाज कर दिया। हस्तिकूण्डी का इतिहास इन्हीं प्राचीन शिलालेखों एवं (सूर्याचार्य की) प्रशस्ति पर आधारित है। हस्तिकुण्डी नगरी का एकमात्र जीवन्त स्मारक रातामहावीर का मन्दिर है अतः सारा इतिहास मन्दिर के इर्दगिर्द घूमता नजर आता है। सूर्याचार्य की इस प्रशस्ति ने राष्ट्रकूटों की सामाजिक मान्यता, सांस्कृतिक गतिविधि, राज्य, व्यापार, वन तथा कर-निर्धारण की समुचित सूचनाएँ दी हैं। इस प्रशस्ति के परिप्रेक्ष्य में राजस्थानी राजवंशों के प्राचीन इतिहास के मन्थन की आवश्यकता महसूस हुई है / इस प्रशस्ति एवं हस्तिकुण्डी के अन्य लेखों ने हस्तिकुण्डी के आसपास की राजनैतिक तथा धार्मिक गतिविधियों को अपनी शब्द-सम्पदा में समेटा है एवं नवीन मान्यताएँ तथा उद्भावनाएँ प्रस्तुत की हैं। एक जैन मन्दिर के साथ जुड़े दुर्लभ शिलालेख (सं. 258 अजमेर म्युजियम) को अधिक महत्त्व नहीं मिला एवं न तत्सम्बन्धी ऐतिहासिक सामग्री का समुचित अध्ययन किया गया / हस्तिकुण्डी का इतिहास पुस्तक राष्ट्रकूटों की ध्वस्त नगरी हस्तिकुण्डी, उसकी सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्थाओं तथा तत्कालीन परिवेश को प्रस्तुत करने का प्रयास है / राष्ट्रकूटों की इस विलुप्त कड़ी को जोड़ने का प्रयास इतिहासकारों को करना चाहिये एवं मन्दिर-क्षेत्र की अन्य सामग्री का विश्लेषण-अध्ययन करना चाहिये ताकि राजस्थान के सांस्कृतिक इतिहास के पृष्ठ और अधिक उजागर हो सकें। - इस छोटे से प्रयास में पूज्य गुरुदेव भद्रकर विजयजी का प्रेरणाप्रद वरद हस्त रहा है अतः पुस्तक उन्हीं को सादर समर्पित करता हूं। विदुषां वशंवद स्वातन्त्र्य पर्व, 1983 सोहनलाल पटनी
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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