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________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-८ थे / वे सेवाड़ी की नाल में कंटालिया दुर्ग में रहते थे। इनकी माता राव कांधलजी की पुत्री चावड़ी जी थी। कांधलजी अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध करते हुए जालोर में मारे गये थे। मुजाजी के पहले और बाद में भी इस इलाके को मेवाड़ के शासकों ने अपने राज्य में मिलाना चाहा था और इन झडपों में मुजाजी के काका आसकरण मारे गये थे। अलाउद्दीन खिलजी ने अब चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया था और सिसोदिया राणा लक्ष्मणसिंह के पुत्र अजयसिंह को देलवाड़ा में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा था। अपने काका आसकरण की मृत्यु का बदला लेने के लिए मुजाजी बालिया ने इन्हीं अजयसिंह की रानी से कर रूप में एक पाँव का तोड़ा लिया था / राणा अजयसिंह पर इस विजय के उपलक्ष में मुजाजी का एक कीति-स्मारक बनवाया गया था जो आज भी वर्तमान बीजापुर की पुलिस चौकी के पास स्थित है / उनके द्वारा निर्मित मुजेला तालाब आज भी इस गांव में विद्यमान है / मुञ्जसिंह चौहान से चौथी पीढ़ी पर सांगा नाम के एक वीर पुरुष हुए। उनके नाम से इनका वंश सिंगणोत बालीसा चौहान कहलाया। तब से यह प्रदेश इन चौहानों द्वारा शासित रहा है। गौड़वाड़ में बीजापुर इनका मुख्य स्थान रहा है। हस्तिकुण्डी नगरी आज नहीं है परन्तु एक मन्दिर और उसकी प्रशस्ति के लेख आज भी उसकी गौरवगाथा का बखान करते हैं। इस विशाल नगरी का कोट अरावली पर्वत की गिरिमाला में हथूडो से गढ़मुक्तेश्वर एवं हरगंगा के मन्दिर तक आज भी टूटी-फूटी अवस्था में विद्यमान है / "आठ कुरा नव बावड़ी, सोलहसो पणिहार” अर्थात् पाठ कुएं, नौ बाव
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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