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________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-४ आया था। इसके आक्रमण का उल्लेख राधनपुर के दानपत्र में उपलब्ध है। उसके पुत्र अमोघवर्ष ने उक्त दानपत्र में गोविन्दराज तृतीय को केरल, मालवा, सौराष्ट्र एवं चित्रकूट का विजेता बताया है / बुल्हर के अनुसार गोविन्दराज ने भीनमाल से मालवा जाते हुए कुम्भलगढ़ का मार्ग जीत लिया था। हस्तिकुण्डी का हरिवर्मा शायद गोविन्दराज के पुत्र अमोघवर्ष का सामन्त रहा होगा जिसे यहाँ मालवा के परमारों एवं गुजरात के सोलंकियों पर चौकसी रखने के लिये नियुक्त किया गया होगा / मेवाड़ के धनोप गाँव में भी राष्ट्रकूटों के लेख मिले हैं / राष्ट्रकूट राजाओं ने पश्चिमी राजस्थान का दिग्विजय किया था / हस्तिकुण्डी के राष्ट्रकूट शायद उन्हीं के वंशज थे / चौहानकुलकल्पद्रुम में न्यायरत्न लल्लुभाई भीमभाई देसाई ने लिखा है कि प्राबू भी राठौड़ों के अधीन था / खाँप के कवि आढ़ा ने एक छप्पय में कहा है पादपाट अरबद प्रथम राठौर परढे / ता पाछे गोहिल बनसे वरस वयठे / 1000 वि. में सांभर के लाखणसी चौहान ने नाडौल में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की / तब से चौहानों और हस्तिकुण्डी के राठौड़ों में झड़पें होती रही होंगी। इस बीच 1080 वि. का महमूद गजनवी का नाडौल के चोहानों से युद्ध भी इस प्रदेश के उजड़ने का कारण रहा होगा। सं. 1080 वि. (सन् 1023 ई.) में महमूद गजनवी ने नाडौल के रामपाल चौहान व हस्तिकुण्डी के दत्तवर्मा राठौड़ से सोमनाथ जाते हुए युद्ध किया / इस युद्ध में ये दोनों राजा
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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