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________________ * शुभ-सन्देश ॐ ॐ अर्हन्नमः॥ // वन्दे श्रीवीरमानंदम् वल्लभं सद्गुरु सदा // प्राकृतिक सुन्दरता से सुशोभित अरावली पर्वत का आभूषण रूप श्री हस्तिकुण्डी 'राता महावीर' जैन-समाज का प्राचीन तीर्थ व चमत्कारी स्थान है / दर्शन, सेवा, भक्ति करने वाले दर्शनार्थियों के मन को पवित्र बनाता है व प्रात्मकल्याण की दिशा में मानव को प्रेरणा देता है। ___इस महान् तीर्थ-स्थान का दर्शन करने का सौभाग्य विहार के समय कई बार प्राप्त हुआ / मैं प्रो. पटनी के प्रयास से सन्तुष्ट हूं। पहाड़ियों से घिरा हुआ यह महान् पवित्र तीर्थ गौड़वाड़ क्षेत्र को सुशोभित कर रहा है / यह पुनीत ध्यान-साधना के लिये शांत, एकांत स्थान है। प्रात्मशक्ति द्वारा ही मानव का कल्यारण होता है। 'राता महावीर जी के दर्शन करने से ही कर्मों की निर्जरा होती है एवं प्रात्मशांति प्राप्त होती है / इस प्राचीन तीर्थ का जीर्णोद्धार कराने का श्रेय मेरे पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय गुरुदेव प्राचार्य भगवान् श्रीमद्विजयवल्लभसूरीश्वर जी महाराज को है / उसका मुझे भी गौरव है। मेरी सदैव हार्दिक भावना रहती है कि भारत का जन-समाज इस तीर्थ की यात्रा कर दर्शन, सेवा, भक्ति का लाभ उठाकर मनुष्य जीवन को लाभान्वित करे, लक्ष्मी का सदुपयोग कर तीर्थक्षेत्र को सुन्दर बनाने में पुण्य कमावे, यही मेरी जिनेश्वर देव से प्रार्थना है। ४२-पीपली बाजार, इन्दौर -विजयसमुद्रसूरि आश्विन शुक्ल 6, दिनांक 13-10-72
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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