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________________ नैषधीयचरिते ___टीका-भीमस्यापत्यं स्त्री भैमी दमयन्ती तस्याः पदयोः चरणयोः स्पर्शन सम्पर्केण ( उभयत्र ष० तत्पु०) कृतार्थाः कृतः अर्थः यया तथाभूता ( ब वो०) सफला धन्येत्यर्थः ( तृ० तत्पु० ) रथ्या प्रतोली, मार्ग इति यांवत् (कर्मधा० ) यस्याः तथाभूता (ब० वी० ) अर्थात् यत्र दमयन्ती विचरति सा इयम् एषा पुरी नगरी अस्तीति शेषः इति उत्कलिकया उत्कण्ठया आकुल: बाक्रान्तः ( तृ० तत्पु० ) नृपः राजा नलः ताम् नगरीम् ईक्षणाभ्याम् नयनाभ्याम् क्षणम् मुहूर्तम् निपीय सादरं वीक्ष्येत्यर्थः सुरैः देवैः क्षता क्षयं नीता आशा दमयन्ती विषयकाभिलाषः ( कर्मधा० ) यस्य तथाभूतः (ब० वी० ) सन् भृशम् अत्यर्थम् यथा स्यात्तथा निशश्वास विषादे दीर्घनिश्वासान् मुमोचेत्यर्थः / पूर्व तु नलो 'दमयन्तीमहमत्र द्रक्ष्यामीति' विचार्य समुत्सुकोऽभवत् , किन्तु 'सा देवान् वरिष्यतीति मनसि कृत्वा स परमं विषादं प्राप्त इति भावः // 5 // व्याकरण-भैमी भीम + अण ( अपत्यार्थे ) + ङीप् / रथ्या रथं वहतीति रथ + यत् + टाप् / निपीय इसके लिए सर्ग 1 का श्लोक 1 देखिए / ईक्षणम् ईक्ष्यतेऽनेनेति /ईक्ष् + ल्युट् ( करणे ) / सुरैः इसके लिए सर्ग 5 का श्लोक 34 देखिये। अनुवाद-दमयन्ती के पाद-स्पर्श से धन्य बनी गलियों वाली यह वह नगरी है'-इस विचार से उत्सुकता-पूर्ण हुए राजा ( नल ) ने थोड़ी देर नयनों से ( नगरी को) आदरपूर्वक देखकर (बाद में ) देवताओं के हाथों हताश हो खूब लंबी आहे खींचौं // 5 // टिप्पणी-प्रेयसी की नगरी में पहुंच कर भला कौन-सा प्रेमी हृदय में उत्कण्ठित न हो ? नल का भी यही हाल था, किन्तु 'अरे, मैं तो प्रेमी बनकर नहीं प्रत्युत देव-दूत बनकर आया हूँ'-यह याद आते ही उनकी सारी आशाओं पर पानी फिर गया। यहाँ उत्कण्ठा और आहें भरने का कारण बताने से काव्यलिङ्ग है। विद्याधर के अनुसार यहाँ उत्कण्ठा और विषाद नामक भावों के संमिश्रण से भाव-शबलता नामक रसवत् अलङ्कार है। शब्दालङ्कारों में से 'कलि' 'कुल', 'नृपो' 'निपी', 'क्षण' 'क्षणा' में छेक और अन्यत्र वृत्यनुप्रास है। स्विद्यत्प्रमोदाश्रुलवेन वामं रोमाञ्चभृत्पक्ष्मभिरस्य चक्षुः / अन्यत्पुनः कम्प्रमपि स्फुरत्त्वात्तस्याः पुरः प्राप नवोपभोगम् // 6 //
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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