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________________ 58 नैषधीयचरिते पश्यति स्मेति यावत् नलोऽपि मिथ्यादमयन्तीस्पर्शलोभेन तत्रैव विचरति हमेति भावः / / 56 // व्याकरण-धैर्यम् धीराया भाव इति धीरा + ध्यञ् पुंवद्भाव / वोषः / बुध् + घन् / मोहः मुह + ( भावे) घन / उभ्रमः उत् + /भ्रम् + घन् / __ - अनुवाद-वह ( दममन्ती) धैर्य और वियोग के योग सम्बन्ध से ज्ञान और फिर भ्रम रखती हुई घर को चल दी ( जब कि ) वह ( नल ) भ्रम-वश उस सुन्दरी ( दमयन्ती ) को बार-बार सामने देखते हुए वहीं घूमते रहे // 56 // टिप्पणी-धैर्य से मनुष्य को सम्यक ज्ञान होता है जब कि अधीरता उसे मोह में डाल देती है। मोह देखो तो चञ्चलता उत्पन्न कर देता है। यहाँ धैर्य मोह और चञ्चलता नामक सञ्चारी भावों का सम्मिश्रण होने से भाव-शबलमा अलंकार है। धैर्य और वियोग के साथ बोध और मोह को यथाक्रम अन्वय होने से यथासंख्यालंकार भी है। 'योग' 'योगा' 'मोहं' 'मुहुर्' 'पुनः' 'पुनः' 'भ्राम' 'भ्रमे' में छेक, अन्यत्र वृत्त्यनुप्रास है। पद्भयां नृपः संचरमाण एष चिरं परिभ्रम्य कथंकथचित् / विदर्भराजप्रभवाभिरामं प्रासादमभ्रंकषमाससाद // 57 // अन्वयः-पद्भयाम् संचरमाणः एष नृपः कथंकथञ्चित् चिरम् परिभ्रम्य विदर्भ "रामम् अभ्र कषम् प्रासादम् आससाद / टीका-पद्धयाम् पादाभ्याम् सञ्चरमाण: चलन् एष नृपः राजा नल: कथं कथंचित् केनापि प्रकारेण दमयन्तीप्रासादस्य पूर्व ज्ञानाभावकारणात् अतिकृच्छ्रेणेत्यर्थः चिरम् बहुकालम् परिभ्रम्य परितो भ्रमित्वा विदर्भाणां राजा भीमः ष. तत्पु० ) प्रभवः उत्पत्तिस्थानम् ( कर्मधा० ) यस्याः तथाभूता (ब० वी० ) दमयन्तीत्यर्थः तया अभिरामं शोभितम् अलंकृतमित्यर्थः ( तृ० तत्पु० ) अभ्रम् आकाशम् कषति बिलिखतीति तथोक्तम् ( उपपद तत्पु० ) गगनचुम्बिनमित्यर्थः प्रासादम् हर्म्यम् आससाद प्राप्तवान् / वियोगकारणात् परितो भ्रमन्नेव नल: प्रासादं प्राप्तवान् न तु बुद्धिपूर्वकमिति भावः / / 57 // व्याकरण-संचरमाणः सम् + /चर् + शानच् 'समस्तृतीयायुक्तात्' (11354 ) से आत्मने / प्रभवः प्रभवतीत्यस्मादिति प्र + Vभू + अप् ( अपादानार्थे ) / अभिराम अभितो रमयतीति अभि + / रम् + णिच् + घञ् (कर्तरि)। अभ्रंकष-अनं कषतीति अभ्र + /कष + खच , मुमागम /
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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