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________________ नवमः सर्गः 423 टिप्पणी-अग्नि की ज्वाला-रूपी बाँहों में पड़ने से बचकर जल में छलांग लगाने पर दमयन्ती वरुण की छाती पर लुढ़क जाएगी। वरुण दमयन्ती को अपना प्राण समझ रहे हैं, जो सतत उनके हृदय में मौजूद है, किन्तु छलांग लगाने पर तब बाहर भी शरीरतः छाती पर लगाने को उन्हें' वह मिल जाएगी। उनके पौ बारह हैं। जल वरुण का जड़ कार्य देह है-यह हम पीछे स्पष्ट कर आए हैं। अलङ्कार पूर्ववत् विषम है, किन्तु दमयन्ती पर वरण के प्राणों का आरोप होने से रूपक अधिक है। विद्याधर ने न जाने कैसे उत्प्रेक्षा मानी है। 'जितंजितम्' और 'वक्षसि, वक्ष्यते' में छेकानुप्रास है // 48 // करिष्यसे यद्यत एव दूषणादुपायमन्यं विदुषी स्वमृत्यवे / प्रियातिथिः स्वेन गृहागता कथं न धर्मराजं चरितार्थयिष्यसि ? // 49 // अन्वयः-विदुषी ( त्वम् ) अतएव दूषणात् ( कारणात् ) स्वमृत्यवे अन्यम् उपायम् यदि करिष्यसे, (तहि ) स्वेन गृहागता प्रिया अतिथिः ( त्वम् ) धर्मराजम् कथम् न चरितार्थयिष्यसि ? टीका-विदुषी पण्डिता त्वम् अतः एतस्मात् एव दूषणात् उद्बन्धनादिना मरण-कारणेनाहम् इन्द्रादीनाम् हस्ते पतिष्यामीमि दोषोत्सत्तिकारणात् स्वमृत्यवे अन्यम् उक्तोपायेभ्यो भिन्नम् उपायं साधनं यदि करिष्यसे अनुष्ठास्यसि, तर्हि स्वेन आत्मना स्वयमेवेत्यर्थ; गृहान् स्वनिवासस्थानम् आगता प्राप्ता प्रिया प्रेयसी अतिथिः प्राघुणिकीभता त्वम् धर्मराज यमम् कथम् केन प्रकारेण न चरितार्थयि. सि चरितार्थतां प्रापयिष्यसि अपितु सर्वथैव चरितार्थयिष्यसीति काकुः / मरणे सर्वे यमराजगृहं गच्छन्ति / प्रियतमां त्वामपि स्वयमेव प्राघुणिकीभूय निजगृहागतां विलोक्य यमः कृतकृत्यो भविष्यतीति भावः // 49 // व्याकरण-विदुषी वेत्तीति /विद् + शतृ + शतृ को वस् आदेश + ङीप् (स्त्रियाम् ) / दूषणात् /दुष + णिच + ल्युट ( भावे)। उपायम् उपेयते इति उप + Vइ + घञ् / अतिथिः न तिथि: ( आगमननियतदिनं ) यस्येति, अथवा यास्कानुसार अतति तिथिषु गृहान् इति / चरितार्थयिष्यसि - चरितः ( अनुष्ठितः ) अर्थः (प्रयोजनम् ) येनेति (ब० वी० ) चरितार्थः / चरितार्थ करिप्यसीति चरितार्थ + णिच् + लृट् ( नामधातु ) / अनुवाद- "(हे दमयन्ती ! ) समझदार तुम इन्हीं ( उपरोक्त ) दोषों के
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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