SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Inएकवीसाठाग्रीनमिनाथभगवान्ना एकदाजारपुरुषफवनस तरगणधरवासहजहार एकतालीसहजारमाधवीराकलासितरमारत्रावा विकलापप्रमतानिसहजारश्राविका पनरधनुषदेहमानदसहा जावर्षमागकंचनवायदमलंबन विहारकरता श्रीसिवाचल पध्यास्वा तिनोन्महिमाघाणवणधि लिहाथीविचरता एकसह त्रमन्त्रीराजसं श्रीसमेंनसिपमासएकसएकरीसिघपद वस्या मोदपदयाम्यागश्रीनमिजीनमास्कःश्रीसिछावगीरीननमस्का रहना २२श्री: श्री. श्री. श्री: श्री: श्री: श्री मूल पाठ हवें एकवीसमा श्री नमिनाथ भगवानः। सित्तेर हजार श्रावक, त्रिण लाख अडतालिस हजार श्राविका। पनर धनूष देहमान। दस हजार वर्ष आउं, कंचन वर्ण, पद्म लंछन। विहार करतां श्री सिधाचल पध्याऱ्या। तिर्थनो महिमा घणो वर्णविने तिहाथी विचरतां एक सहस्त्र मुनीराजसुं श्रीसमेतसिखरें मास एक अणसण करी सिधपद वरया, मोक्षपद पाम्याः। श्री नमिजी नमोस्तुः। श्रीसिधाचलगीरीने नमस्कार हजोः1211श्रीः श्रीः श्रीः श्रीः श्रीः श्रीः श्रीः। हिन्दी अनुवाद 21. नमिनाथजी आपने 1000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में 17 गणधर, 20,000 साधु, 41,000 साध्वियां,1,70,000 श्रावक और 3,48,000 श्राविकाएं थीं। आपका देहमान 15 धनुष ऊंचा था। आपका वर्ण कंचन (सुवर्ण) है। आपका लांछन पदम (नीलोत्पल) है। आपकी आयु पूरे दस हजार वर्ष की थी। पटदर्शन
SR No.032780
Book TitlePat Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana K Sheth, Nalini Balbir
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy