SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पत्रिमाश्रीशनवनाथायरमेश्वरमीश्रीसिवाचलजीईआर समोसस्वाभासमवसरणनीरचनाकरीबितिहाश्रीशनव नाथजीजादेवानाचिनीमिछाचलजी माहात्मवर्णव्याः aमामयपणिइंसानलि प्रतिबोधयामी संसारत्याय करीक्षारिवानि परोस्वरजीने पोताना त्रासमानीकार्य नासिवीएबी रानीसिहावलजीउपरें कामिसिधीयोतानी जाए अयासाकरी सकलकरियकरिमोघोहता श्री शाशवनाथजीनं बारुदनमष एकसोयांधगरधर बेनाथ साक स्पाम्यापकषत्रिणलापबचीसहजारसाधधीजी बेला पवाफहजारभावकलापबत्रीसहजारमाविका एक हर्जरपुषसंघातेदिका पारस्पैधनुषदेह साहनाषपुर्व नुआटे कंचनवरंगनबन हजारसूरुषसंघातें: ब्रीसभवनाथनोसबंधासपुराना मूल पाठ त्रिजा श्री संभवनाथ परमेश्वरजी।3 देशनानें विषे श्री सिधाचलजी माहात्म वर्णव्यो, ते माहातम भव्य प्राणिइं सांभलि प्रतिबोध पांमी, संसार त्याग करी, चारित्रा लेइनें परमेश्वरजीने पोताना आतमानी कायनी सिधी पुछी। ए श्री सिद्धाचलजी उपरें कार्यनि सिद्धि पोतानीः जाणी अणसण करी, सकल कर्म क्षय करि मोक्षे पोहता। श्री शंभवनाथजीने चारुदत्त प्रमुख एकसो पांच गणधर, बे लाख साधु, स्याम्या प्रमुख त्रिण लाख छत्रीस हजार साधवीजी, बे लाख त्राणु हजार श्रावक, छ लाख छत्रीस हजार श्राविका, एक हजार प्रमुख (पुरुष) संघाते दिक्षा। च्यारस्यै धनुष देह, साठ्ठ लाख पूर्व- आयु, कंचन वर्ण, तुरंग लंछन, हजार पुरुष संघातेंः सिद्धप(द) ने वरया। एहवा त्रिजा परमेश्वरजीनें हुं बारंबार वांदु छुः। श्री संभवनाथनो संबंध संपूर्णः। 31 पटदर्शन
SR No.032780
Book TitlePat Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana K Sheth, Nalini Balbir
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy