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________________ 5. उसके पश्चात् दस कोटी सागरोपम समय के बाद ब्रह्मेन्द्र ने पांचवां उद्धार करवाया था। 6. उसके पश्चात् एक कोटी सागरोपम समय के बाद भवनपति चमरेन्द्र ने छट्ठा उद्धार करवाया था। आदिनाथ प्रभु के पश्चात् 50 लाख कोटी सागरोपम समय के बाद सगर चक्रवर्ती ने श्री अजितनाथ प्रभु के शासनकाल में सातवां उद्धार करवाया था। 8. उसके पश्चात् चतुर्थ तीर्थंकर श्री अभिनंदन स्वामी के शासनकाल में व्यंतरेन्द्र ने आठवां उद्धार करवाया था। 9. श्री चंद्रप्रभु स्वामी के शासनकाल में चंद्रयशा ने नौवां उद्धार करवाया था। 10. श्री शांतिनाथ प्रभु के शासनकाल में उनके पुत्र चक्रायुधनृप ने दसवां उद्धार करवाया था। 11. श्री मुनिसुव्रत स्वामी के शासनकाल में रामचन्द्रजी ने ग्यारहवां उद्धार करवाया था। 12. श्री नेमिनाथ स्वामी के शासनकाल में पांडवों ने बारहवां उद्धार करवाया था। पांडवों ने कौरवों के साथ भयानक हिंसायुध करने से गोत्रदोह-पापकर्म बंधन किया था। उस पाप को नष्ट करने हेतु तीर्थोद्धार किया था। इस अवसर्पिणी के बाद उत्सर्पिणीकाल - भगवान् महावीर के शासन में जो तीर्थोद्धार हुए, वे निम्नलिखित हैं। 13. महावीर निर्वाण की 470 वर्ष बाद वि.सं. 108 में जावडशा श्रेष्ठी ने शत्रुजय तीर्थ का तेरहवां उद्धार करवाया था। 14. वि.सं. 1213 में श्रीमाली बाहडदेव ने चौदहवां उद्धार करवाया था। 15. वि.सं. 1317 में ओसवाल श्रेष्ठी समराशा ने पन्द्रहवां उद्धार करवाया था। 16. वि.सं. 1587 में करमाशा ने सोलहवां उद्घार करवाया था। 17. अंत में पंचमकाल का विषम स्वरूप समझकर यह सत्रहवां उद्धार श्री दुप्पसहसूरि के प्रतिबोध से राजा विमलवाहन करवाएंगे। पटदर्शन 119
SR No.032780
Book TitlePat Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana K Sheth, Nalini Balbir
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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