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________________ . नवमः सर्गः अनुवावः - (हे दमयन्ति ! ) अग्निदेव आपकी प्राप्तिकी कामना कर आहवनीय आदि अपनी मूतियोंमें स्वयं अपने अंशभूत हविका हवन कर सार्वकामिक ( सब इच्छाओंको पूर्ण करनेवाला ) यज्ञ करेंगे तो वह वैदिक विधि कैसे निष्फल होगी? / 75 // टिप्पणी-त्वदवाप्तिकामनां = तव अवाप्तिः ( ष० त०), तस्याः कामना, ताम् (ष० त०)। स्वमूर्तिषु = स्वस्य मूर्तयः, तासु (ष० त०) / श्रोत अग्नि तीन हैं-दक्षिणाऽग्नि, गार्हपत्य और आहवनीय / स्मार्त अग्नि दो हैं-सभ्य और आवसथ्य / हुतस्वांऽशहविः-स्वस्य अंशः (10 त० ) / हुतं स्वांऽशो हविः येन सः ( बहु० / / सार्वकामिक = सर्वश्चाऽसौ कामः ( क धा०)। सर्वकामः प्रयोजनं यस्य सः, तम्, “प्रयोजनम्" इस सबसे ठक् ( इक)। विधत्ते - वि+धा + लट् + त / वैदिकः = वेदे भवः, "तत्र भवः" इससे ठक ( इक ) प्रत्यय / इस पद्यमें तीन 'स्व' शब्दोंसे क्रमसे अग्निका ही कर्तृत्व, देवत्व और आहवनीयत्व आदि रूपोंका प्रतिपादन करनेसे कर्ममें प्रमादका अभाव सूचित होता है, इस कारणसे वेदप्रामाण्यसे दमयन्ती अग्निके अधीन हो सकती है, इस. बातकी प्रतीति होती है / 75 // ___ सदा तदाशामधितिष्ठतः करं वरं प्रदातुं वलिताद बलादपि / मुनेरगस्त्याद् वृणुते स धर्मराड यदि त्वदाप्ति, भण का तवा गति: ? // 76 // अन्वयः- ( हे दमयन्ति ! ) स धर्मराड् सदा तदाशाम् अधितिष्ठतः ( अत एव ) बलात् अपि वरम् ( एव ) करं प्रदातुं वलितात् अगस्त्यात् मुनेः त्वदाप्ति वणुते यदि, तदा का गतिः ? भण // 76 / / व्याख्या - सः -- प्रसिद्धः, धर्मराड = यमराजः, सदा = सर्वदा, तदाशां= तद्दिशाम, दक्षिणाम् / अधितिष्ठतः = अधिवसतः, अत एव बलात् अपि == बलम् आश्रित्य अपि, वरम् = अभीष्टम् एव, करं = बलिं, प्रदातुं = वितरीतुं, वलितात् = प्रवृत्तात्, अगस्त्यात् = अगस्त्यनामकात्, मुनेः = ऋषेः, त्वदाप्ति = त्वत्प्राप्ति, वृणुते यदि याचते चेत्, तदा = तस्मिन्काले, का = कीदृशी, गतिः स्थितिः, स्यादिति शेषः / भण = वद, वाक्यार्थः कर्म // 76 // अनुवाद:-( हे दमयन्ति ! ) प्रसिद्ध यमराज सदा उनकी दक्षिण दिशामें रहनेवाले अत एव बलपूर्वक भी वरको देनेके लिए प्रवृत्त अगस्त्य मुनिसे यदि तुम्हारी याचना करेंगे तो क्या गति होगी ? कहो // 76 //
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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