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________________ मैषधीयचरितं महाकाम्यम् . तरुणेषु, पूर्वपक्षतां - दूष्यकोटितां, व्यपनेतुं =निवारयितुम्. अक्षमः=असमर्थः सन्, त्वयि = भवति विषये, सिद्धान्तधियं =सिद्धान्तबुद्धि, न्यवेशयं निवेशित वान्, अन्यान् यूनी दमयन्त्या अयोग्यान्विचार्य भवानेन तस्या अनुरूपपतिरिति निरचषमिति भावः // 42 // .. अनुवाद-चिन्ताके अनन्तर दमयन्तीके अनुरूप पतिकी आलोचना कर मैंने अन्य सभी युवकोंमें पूर्वपक्षता ( दूष्यकोटिता ) हटाने में असमर्थ होकर आपमें सिद्धान्त-बुद्धि ( दमयन्तीके योग्य पति हैं ऐसी बुद्धि ) का स्थापन किया // 42 // टिप्पणी-अनुरूपं रूपस्य योग्यं योग्यता वा; सादृश्यके; अर्थमें अव्ययीभाव / निरूपयन् =नि+रूप+णिच् + लट् (शत )+सु / युवसु='वयःस्थस्तरुणो युवा' इत्यमरः / पूर्वपक्षतांपूर्वश्चाऽसौ पक्षः, ( क० धा० ) तस्य भावस्तता, ताम्, पूर्वपक्ष + तल+टाप्+अम् / व्यपनेतुं =वि+अप+ नी +तुमुन् / अक्षमः=न क्षमः ( न० ) / त्वयि =विषय में सप्तमी / सिद्धान्तधियं =सिद्धान्तस्य धीः, ताम् (ष० त० ) न्यवेशयम्-नि-उपसर्गपूर्वक 'विश'. धातुसे लङ् +मिप् / शास्त्राऽर्थमें पूर्वपक्ष जैसे दूष्य और उत्तरपक्ष अर्थात् सिद्धान्तपक्ष स्थापनीय होता है, उसी तरह दमयन्तीके योग्य पतिकी आलोचनामें और सब युवक पूर्वपक्षस्थानीय और नल सिद्धान्तपक्षस्थानीय है। ऐसा मैंने निश्चय किया है। यही ब्रह्माका आशय है; यह तात्पर्य है। इस पबमें सम अलङ्कार है'समं स्यादानुरूप्येण श्लाघा या योग्यवस्तुनोः / ' सा० 10-92 // 42 // अनया तव रूपसीमया कृतसंस्कारविबोधनस्य मे।। चिरमप्यवलोकिताऽद्य सा स्मृतिमारूढवती शुचिस्मिता // 43 // अन्वयः-चिरम् अवलोकिता अपि सा शुचिस्मिता अद्य अनया तव रूपसीमया कृतसंस्कारविबोधनस्य मे स्मृतिम् आरूढवती // 43 // - व्याल्या-चिरं=बहुपूर्वकाम्, अवलोकिता अपि =दृष्टा अपि, सा= पूर्वोक्ता, शुचिस्मिता- शुक्लहास्या, सुन्दरी दमयन्तीति भावः / अद्य-अस्मिन् दिने, अनया=सनिकृष्टस्थया, तव=भवतः, रूपसीमया=सौन्दर्यकाष्ठया, कृतसंस्कारविबोधनस्य उद्बुढभावनाऽऽस्यसंस्कारस्य, मे=मम, हंसस्य, स्मृति - संस्कारमात्रजन्यं ज्ञानं, स्मरणमित्यर्थः / आरूढवती-आरूढा, एकसम्बन्धिमानमपरसम्बन्धिस्मारकं भवतीति भावः // 43 //
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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